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'पांच साल तक सीएम रहेंगे', सिद्धारमैया ने सीएम परिवर्तन की चर्चा को किया खारिज

कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा महीनों से चल रही है और सिद्धारमैया के इस महीने सत्ता में 2.5 साल पूरे होने पर नवंबर क्रांति की खबरें आ रही हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Siddaramaiah
Courtesy: Photo-Social Media

बेंगलुरु: कर्नाटक में एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान शुरू हो गया है. इस बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक बार फिर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों पर ध्यान देने के लिए कदम उठाना पड़ा है, क्योंकि उनकी सरकार नवंबर में अपने पांच साल के कार्यकाल के आधे पड़ाव पर पहुंच रही है.

सत्तारूढ़ कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा महीनों से चल रही है और इसकी परिणति “नवंबर क्रांति” की खबरों के रूप में हुई, जिसे सिद्धारमैया ने गुरुवार को पूरी तरह से खारिज कर दिया और इसे मीडिया द्वारा रचित करार दिया.

सिद्धारमैया ने संवाददाताओं से कहा, "यह आप (मीडिया) ही हैं जिन्होंने यह शब्द गढ़ा है. आपने ही यह 'क्रांति' गढ़ी है. इसलिए, इसमें न तो कोई 'क्रांति' है और न ही 'भ्रांति'. हमें शासन करने के लिए पाँच साल का कार्यकाल दिया गया है. पाँच साल बाद चुनाव होंगे और हम एक बार फिर जीतेंगे."

'क्रांति' संबंधी रिपोर्टें क्यों सामने आईं?

कर्नाटक में संभावित नेतृत्व परिवर्तन के बारे में काफी अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया अपने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को अगला मुख्यमंत्री बनाने के लिए पद छोड़ सकते हैं. कुछ लोगों ने इस संभावित परिवर्तन को "नवंबर क्रांति" करार दिया था. लेकिन सिद्धारमैया ने जोर देकर कहा कि उनकी स्थिति शुरू से ही मजबूत रही है और भविष्य में भी ऐसी ही रहेगी.

उन्होंने दोहराया कि जनता ने कांग्रेस को पाँच साल के लिए सत्ता सौंपी है. उन्होंने सत्ता-बँटवारे पर चर्चा पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, "जनता ने हमें पांच साल शासन करने का जनादेश दिया है. हम अपनी पांच गारंटियों (गृह लक्ष्मी, शक्ति, गृह ज्योति, अन्न भाग्य और युवा निधि) को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी से प्रयास करेंगे."

लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पूरे पांच साल तक पद पर बने रहेंगे, तो उन्होंने कहा: "इसका क्या मतलब है? ये अवांछित चर्चाएँ हैं. मैंने पार्टी आलाकमान से कहा था कि ढाई साल बीतने के बाद ही मंत्रिमंडल में फेरबदल पर विचार किया जा सकता है. उसके बाद ही सत्ता के बँटवारे को लेकर ये चर्चाएँ शुरू हुईं."

क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा? 

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल की कोई तारीख तय हो गई है, मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सांसद राहुल गांधी से बातचीत कर रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि वे कितने बजट पेश करेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि वे शेष कार्यकाल तक सत्ता में बने रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक जनता चाहेगी, वे ऐसा करते रहेंगे. सिद्धारमैया ने एक अंधविश्वास पर भी बात की कि चामराजनगर का दौरा करने वाले मौजूदा मुख्यमंत्री बीच में ही सत्ता खो देते हैं. उन्होंने कहा, "मैं अंधविश्वास में विश्वास नहीं करता. मेरे लिए चामराजनगर, मैसूर या बेंगलुरु जाना एक जैसा है. मैं राज्य के सभी 31 जिलों का दौरा करूंगा."

उन्होंने कहा कि वास्तव में चामराजनगर की उनकी यात्रा का उद्देश्य इस अंधविश्वास को चुनौती देना तथा उन लोगों को संदेश देना था जो कहते थे कि वर्तमान मुख्यमंत्रियों को इस जिले में आने से बचना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, "मेरी स्थिति और मज़बूत हुई है. यह शुरू से ही मज़बूत रही है और भविष्य में भी मज़बूत बनी रहेगी."

2023 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनके और शिवकुमार के बीच कड़ी टक्कर थी, लेकिन कांग्रेस ने शिवकुमार को उप-मुख्यमंत्री बनने के लिए मना लिया. ऐसी खबरें थीं कि "रोटेशनल मुख्यमंत्री फॉर्मूले" पर समझौता हो गया है, जिसके तहत शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन पार्टी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

डीके शिवकुमार कैंप में क्या चल रहा है?

कर्नाटक के मंत्री एन चालुवरायस्वामी बेंगलुरु से दोपहर 3 बजे की उड़ान से नई दिल्ली पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने के लिए आए हैं और इस यात्रा का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है.

हालांकि, कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेता इकबाल हुसैन, एम शिवन्ना, एच श्रीनिवास और रंगनाथ दिल्ली में आलाकमान - केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला से मिलने का समय मांग सकते हैं, ताकि सिद्धारमैया सरकार के 2.5 साल पूरे होने के बाद शिवकुमार को सत्ता हस्तांतरण पर चर्चा की जा सके.

हालांकि, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने सभी को सूचित कर दिया है कि वह किसी भी खेमे की ओर से मुख्यमंत्री बदलने की किसी भी तरह की पैरवी पर विचार नहीं करेगा. अब सवाल यह है कि क्या आलाकमान इन नेताओं से मुलाकात करेगा, क्योंकि इनके 23 नवंबर तक दिल्ली में रहने की उम्मीद है. इन घटनाक्रमों के बीच, शिवकुमार ने संकेत दिया है कि वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं और कहा है कि दूसरों को भी मौका मिलना चाहिए. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर एक पार्टी कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि वह हमेशा के लिए केपीसीसी प्रमुख नहीं बने रहना चाहते.