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'यह आत्मघाती कदम', कर्नाटक कांग्रेस में जारी कलह के बीच इस वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने पार्टी हाईकमान को लगाई फटकार

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली ने कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर बढ़ते तनाव पर हाईकमान को चेतावनी दी. उन्होंने अनुशासन बहाल करने और नेताओं को दिल्ली बुलाकर स्थिति नियंत्रित करने की अपील की.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
M. Veerappa Moily India Daily
Courtesy: Social Media

नई दिल्ली: कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर लगातार बढ़ते तनाव के बीच वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने पार्टी हाईकमान को कड़ी चेतावनी दी है. मोइली ने कहा कि पार्टी नेतृत्व अंदरूनी मतभेदों को संभालने में विफल हो रहा है, जिससे उसकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो रही है. 

हाईकमान को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए

मोइली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस हाईकमान को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को तुरंत दिल्ली बुलाकर मामले को सुलझाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक दोनों नेताओं को बुलाकर अनुशासन नहीं बहाल किया जाएगा, हाईकमान को नेताओं को चुप रहने का निर्देश देना चाहिए.

उन्होंने आगाह किया कि अलग-अलग समुदाय और राजनीतिक समूह अपनी चालें चल रहे हैं और इस तरह की स्थिति पार्टी की साख को नुकसान पहुंचा रही है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोइली ने यह भी कहा कि यह समय कर्नाटक के लिए संवेदनशील है, क्योंकि यह कांग्रेस के कुछ अहम राज्यों में से एक है.

जाति और धार्मिक हस्तियों की राजनीति पर चिंता

मोइली ने दोनों खेमों द्वारा जाति और धार्मिक हस्तियों के हस्तक्षेप की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि हाल ही में श्री श्री नंजवदुथा स्वामीजी ने डी.के. शिवकुमार के पक्ष में खुला समर्थन दिया, जो पार्टी के लिए खतरनाक संकेत है. मोइली ने जोर देकर कहा कि जाति आधारित राजनीति और धार्मिक हस्तक्षेप पार्टी की मूल नीतियों और सेक्युलरिज़्म के सिद्धांतों के खिलाफ हैं.

लीडरशिप पहले नहीं, अनुशासन पहले

मोइली ने स्पष्ट किया कि वह किसी पक्ष का समर्थन नहीं कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पद के फैसले का समय तब आएगा जब अनुशासन और व्यवस्था बहाल हो जाए. उन्होंने कहा कि अभी प्राथमिकता अनुशासन बहाल करना है. लीडरशिप पर बाद में फैसला लिया जा सकता है.

कर्नाटक में कांग्रेस की स्थिरता जरूरी

मोइली के बयान को पार्टी में चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिना हाईकमान के ठोस हस्तक्षेप के कर्नाटक कांग्रेस लंबे समय तक अस्थिरता की स्थिति में रह सकती है. उनके मुताबिक, अनुशासन बहाल किए बिना किसी भी तरह की राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया सही तरीके से नहीं चल सकती.