Medical Student Petition: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक मेडिकल छात्रा की याचिका खारिज कर दी. याचिका में उसने अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी कि वे उसे NEET-PG 2025 के परिणाम घोषित होने के बाद सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार से ओबीसी उम्मीदवार में अपनी श्रेणी बदलने की अनुमति दें. जस्टिस डीके सिंह और जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ ने डॉ. सी अनुषा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया.
पीठ ने कहा, ' किसी अभ्यर्थी ने किसी विशेष श्रेणी से संबंधित नीट-यूजी/पीजी के लिए अपना फॉर्म भरा है और यदि वह राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा सुधार के लिए निर्धारित अवधि के दौरान आवेदन पत्र में सुधार नहीं करता है, तो परिणाम घोषित होने के बाद अभ्यर्थी अपनी श्रेणी बदलने का हकदार नहीं होगा.'
प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि यदि याचिकाकर्ता को लगता है कि वह ओबीसी श्रेणी से संबंधित है, तो उसके पास अपने आवेदन पत्र में सुधार करने का अवसर था, क्योंकि सूचना बुलेटिन में ही 09.03.2025 से 11.03.2025 तक की तिथि दी गई थी, जिसके दौरान यदि कोई उम्मीदवार फॉर्म भरने में कोई गलती करता है, तो वह अपने आवेदन पत्र में सुधार कर सकता था. याचिकाकर्ता ने अपनी श्रेणी में सुधार नहीं किया और सामान्य मेरिट श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में परीक्षा में भाग लिया. अब, याचिकाकर्ता अपनी श्रेणी बदलना चाहती है क्योंकि वह सफल नहीं हुई है. ऐसा कोई पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है, अन्यथा यह NEET-PG 2025 के पूरे परिणाम को प्रभावित कर देगा.
मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय पर भरोसा किया गया, जिसे माइनर एस. जयतिनाथन बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और अन्य के मामले में WP.MD.No .13687/2024 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई थी .
याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए निर्णयों पर गौर करने के बाद, अदालत ने कहा, 'यहां, याचिकाकर्ता NEET-PG 2025 का परिणाम घोषित होने के बाद इस अदालत के समक्ष आया है. इसलिए, याचिकाकर्ता के विद्वान वकील द्वारा जिन दोनों मामलों पर भरोसा किया गया है, वे वर्तमान मामले के तथ्यों के आधार पर अलग-अलग हैं.' तदनुसार, उसने याचिका खारिज कर दी.