बेंगलुरु: कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर बढ़ते राजनीतिक तापमान के बीच शनिवार सुबह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की विशेष मुलाकात सुर्खियों में रही. कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर हुई यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर आयोजित नाश्ते के दौरान हुई, जहां उपमा, इडली और सांभर के साथ सियासी हलचल को शांत करने की कोशिश नजर आई. कांग्रेस संगठन में संभावित नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
नाश्ते के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि पार्टी में किसी तरह का आंतरिक विवाद नहीं है और दोनों नेताओं के बीच भी किसी प्रकार का तनाव नहीं है. सिद्धारमैया ने कहा कि हमारा फोकस 2028 के चुनावों पर है. स्थानीय निकाय चुनाव भी महत्वपूर्ण हैं और उसी पर चर्चा हुई. हम मिलकर काम करेंगे. हमारे बीच कोई मतभेद नहीं हैं और आगे भी नहीं होंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नेतृत्व से जुड़े किसी भी संकेत का वे पूरी तरह पालन करेंगे. हाईकमान जो कहेगा, वही अंतिम होगा.
विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा पर मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि BJP और JDS सिर्फ आरोपों की राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे कह रहे हैं कि अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. वे 60 और 18 सीटों पर हैं, हम 140 पर. यह सिर्फ शोर-शराबा है. हम सभी झूठे आरोपों का जवाब देंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी एकजुटता का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि वे नेतृत्व और संगठन के फैसलों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. शिवकुमार ने कहा कि जहां तक नेतृत्व का सवाल है, हम हाईकमान को मानते हैं. वे जो तय करेंगे, वही अंतिम होगा. हम 2028 में कांग्रेस की सरकार दोहराएंगे और 2029 में भी मजबूत भूमिका निभाएंगे. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि हाईकमान के बुलावे पर वे दिल्ली जाएंगे.
बैठक के तुरंत बाद दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ नाश्ते की तस्वीरें साझा कीं. शिवकुमार ने पोस्ट लिखा कि कर्नाटक की प्राथमिकताओं और भविष्य की योजनाओं पर सार्थक चर्चा. यह कदम पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को शांत करने और एक मजबूत संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा इस महीने तेज हो गई है, क्योंकि सिद्धारमैया के कार्यकाल का आधा समय पूरा हो चुका है. शिवकुमार गुट यह दावा कर रहा है कि 2023 की जीत के बाद हाईकमान ने अनौपचारिक तौर पर पावर-शेयरिंग का आश्वासन दिया था. यही कारण है कि उनके समर्थक अब उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दिए जाने की मांग खुले तौर पर उठा रहे हैं.