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सीएम सिद्धारमैया की कलाई पर 43 लाख की घड़ी, आम जनता के नेता के महंगे शौक से छिड़ा विवाद

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक बार फिर महंगी घड़ी को लेकर चर्चा में हैं. नाश्ते की बैठक में उनकी कलाई पर दिखी 43 लाख रुपये की रोज गोल्ड Cartier Santos ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है.

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Sagar Bhardwaj

कर्नाटक की राजनीति में लग्जरी घड़ियों का विवाद नया नहीं है और इस बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सुर्खियों में हैं. एक आधिकारिक बैठक में उनकी कलाई पर दिखी 43 लाख रुपये की Cartier Santos घड़ी ने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में बहस तेज कर दी है. सिद्धारमैया की समाजवादी छवि और महंगे एक्सेसरीज के बीच का विरोधाभास विपक्ष के लिए नया मुद्दा बन गया है. इससे पहले भी 2016 में उनकी Hublot घड़ी को लेकर बड़ा विवाद उठा था.

रोज गोल्ड Cartier ने खींचा ध्यान

नाश्ते की बैठक के दौरान सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार दोनों Cartier घड़ियों में नजर आए, लेकिन सुर्खियों का केंद्र मुख्यमंत्री बने. उनकी कलाई पर दिखा मॉडल Santos de Cartier का प्रीमियम संस्करण है, जिसकी कीमत 43 लाख रुपये 20 हजार बताई जा रही है. यह पूरा 18K रोज गोल्ड से बना है और इसके डिजाइन में 1904 के मूल Santos स्टाइल की झलक मिलती है.

घड़ी की डिजाइन और तकनीक

यह मॉडल Cartier के 1847 MC ऑटोमैटिक मूवमेंट पर चलता है. सफेद-सिल्वर डायल, काली रोमन संख्याएं और नीली तलवारनुमा सुइयां इसे क्लासिक लुक देती हैं. क्राउन में जड़ा नीला कैबोशोन Cartier की पहचान मानी जाती है. 39.8 मिमी चौड़ाई और 9 मिमी मोटाई वाली यह घड़ी देखने में बड़ी है, पर पहनने में भारी नहीं लगती.

आराम, मजबूती और राजनीतिक संकेत

घड़ी की रोज़ गोल्ड ब्रैसलेट फ्लैट डिजाइन में बनी है, जो कलाई पर आराम देती है और मजबूत भी है. यह 100 मीटर तक वॉटर-रेसिस्टेंट है. कई Santos मॉडल्स की तरह इसमें क्विकस्विच सिस्टम नहीं दिखता. विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मॉडल Cartier की टॉप रेंज में आता है और सीधे तौर पर एक लग्जरी स्टेटमेंट का संकेत देता है जो राजनीति में स्वाभाविक रूप से बहस का कारण बनता है.

2016 में भी हुआ था विवाद

सिद्धारमैया का लग्ज़री घड़ियों से विवाद नया नहीं है. 2016 में उनकी Hublot घड़ी ने राजनीति में हलचल मचा दी थी, जब विपक्ष ने दावा किया था कि उसकी कीमत 50 से 70 लाख रुपये तक है. बाद में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह घड़ी उनके NRI मित्र का उपहार थी और उसकी वास्तविक कीमत कम थी, लेकिन उस विवाद ने हफ्तों तक राजनीति को गर्म रखा.

क्यों हर बार उठता है सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब कोई नेता खुद को आम जनता का प्रतिनिधि बताता है, तो उसके महंगे निजी सामान अक्सर विरोधियों का निशाना बन जाते हैं. Cartier Santos का यह नया मामला भी उसी ढर्रे पर आगे बढ़ता दिख रहा है, जहां लग्ज़री, छवि और राजनीति आपस में टकराते रहते हैं.