10 साल की जेल और 1 लाख जुर्माना... कर्नाटक में हेट स्पीच रोकथाम बिल को मिली मंजूरी, जानें क्या है खास
कर्नाटक सरकार ने हेट स्पीच और हेट क्राइम रोकथाम बिल 2025 पेश किया है. इसमें पहली बार अपराध पर सात साल तक की जेल और दोबारा अपराध पर दस साल तक की सजा का प्रावधान है. सरकार इसे समाज में नफरत फैलाने वाली गतिविधियों पर कड़ा कदम मान रही है.
कर्नाटक में हेट स्पीच और समाज में नफरत फैलाने पर लगाम कसने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम रोकथाम बिल 2025 पेश किया गया. इस बिल का उद्देश्य उन अभिव्यक्तियों और गतिविधियों को रोकना है जो व्यक्तियों या समूहों के बीच असामंजस्य और नफरत को बढ़ाती हैं और साथ ही अपराधियों को कड़ी सजा देने का रास्ता खोलती हैं.
गृह मंत्री जी परमेश्वर द्वारा पेश इस बिल में कई कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं. यह बिल बताता है कि हेट स्पीच किसी भी सार्वजनिक अभिव्यक्ति को कहा जाएगा जो मौखिक, लिखित, दृश्य या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से व्यक्त की गई हो और जिसका मकसद धर्म, जाति, लिंग, भाषा, यौन रुझान या विकलांगता के आधार पर किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ नफरत या दुर्भावना भड़काना हो. बिल में हेट क्राइम को भी साफ तौर से परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार हेट स्पीच फैलाने या उसे बढ़ावा देने वाला कोई भी कदम हेट क्राइम की श्रेणी में आएगा.
पहली बार अपराध पर सजा और जुर्माना
यह बिल पहली बार अपराध करने वाले व्यक्तियों पर एक से सात साल तक की जेल और पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान करता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति दोबारा ऐसा अपराध करता है तो उसे एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है और दो से दस साल तक की जेल हो सकती है. सरकार का कहना है कि यह कठोरता इसलिए जरूरी है ताकि समाज में नफरत फैलाने वालों को स्पष्ट संदेश दिया जा सके.
कंटेंट हटाने का अधिकार भी देगा कानून
अगर यह बिल कानून बन जाता है तो सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और दूसरे ऑनलाइन पोर्टल्स से हेट स्पीच या हेट क्राइम से जुड़े कंटेंट हटाने का अधिकार मिलेगा. एक नामित अधिकारी सर्विस प्रोवाइडर्स को आदेश देकर ऐसे कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने की प्रक्रिया कर सकेगा. इस कदम को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ रही नफरत भरी पोस्टों की रोकथाम की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
बिल में कहा गया है कि अगर किसी अपराध में कोई संस्था या संगठन शामिल है तो उस संगठन के प्रभारी लोगों को भी दोषी माना जाएगा. अपराध होने के समय संस्था का संचालन देख रहे सभी जिम्मेदार लोग दंडित किए जा सकेंगे. सरकार का कहना है कि इससे उन संगठनों पर नकेल कसी जा सकेगी जो व्यवस्थित तरीके से नफरत फैलाने का काम करते हैं.