कर्नाटक में CM पद को लेकर सियासी तनाव बरकरार! फिर दिल्ली पहुंचे सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी तनाव बरकरार है. कांग्रेस हाईकमान की कोशिशों के बावजूद सत्ता संघर्ष जारी है. नाश्ते की बैठक के बाद सुलह के दावे किए गए, लेकिन हालिया बयानबाजी से साफ है कि विवाद अभी थमा नहीं है.
कर्नाटक: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर राजनीतिक तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस हाईकमान की ओर से स्थिति को शांत करने की हालिया कोशिशों के बावजूद, राज्य इकाई के अंदर सत्ता संघर्ष जारी है. मुख्यमंत्री आवास पर एक बहुत चर्चित नाश्ते की मीटिंग के बाद, यह दावा किया गया था कि सभी मुद्दे सुलझ गए हैं. हालांकि, हाल के दिनों में दोनों खेमों से आए नए बयानों और जवाबी बयानों से पता चलता है कि अंदरूनी कलह अभी खत्म नहीं हुई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 14 दिसंबर को पार्टी के टॉप नेताओं से मिलने के लिए नई दिल्ली जा सकते हैं. इस मीटिंग को राज्य सरकार की भविष्य की राजनीतिक दिशा और नेतृत्व के मुद्दे को तय करने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो 2023 में सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस को परेशान कर रहा है.
इन नेताओं से करेंगे मुलाकात
कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने संकेत दिया है कि कर्नाटक के दोनों नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिल सकते हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि समय कम है, लेकिन अगर यह मीटिंग होती है, तो यह तनाव कम करने में या संभवतः राज्य के अंदर सत्ता समीकरणों को फिर से बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है.
कब होगी यह मीटिंग?
कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों पार्टी के सीनियर और सम्मानित नेता हैं. उन्होंने कहा कि वे जब भी जरूरी समझें, किसी भी टॉप कांग्रेस नेता से मिलने के लिए स्वतंत्र हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि यह मीटिंग दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैली के बाद हो सकती है, जो पार्टी के 'वोट चोरी, गद्दी छोड़ो' अभियान का हिस्सा है.
20 नवंबर के बाद बढ़ा तनाव
इस संभावित मीटिंग का समय महत्वपूर्ण है. पिछले कई दिनों से, दोनों गुट खुले तौर पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं, जिससे यह मुद्दा सार्वजनिक क्षेत्र में बना हुआ है. 2023 में सरकार बनने के बाद से, दोनों नेताओं के समर्थकों ने बार-बार एक-दूसरे पर तीखी टिप्पणियां की हैं. हालांकि, 20 नवंबर के बाद तनाव और बढ़ गया, जब सरकार ने सत्ता में ढाई साल पूरे कर लिए.
डीके शिवकुमार के समर्थकों का दावा है कि सरकार के कार्यकाल के आधे समय में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पार्टी के अंदर एक सहमति बनी थी. अब तक वह बदलाव नहीं हुआ है, जिससे उनके समर्थकों में निराशा बढ़ रही है. जैसे-जैसे पॉलिटिकल ड्रामा जारी है, सबकी नजरें अब नई दिल्ली पर हैं, जहां कांग्रेस हाई कमान आखिरकार कर्नाटक के लीडरशिप संकट को हमेशा के लिए सुलझाने के लिए दखल दे सकता है.