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India Daily

कर्नाटक में मुफ्त चावल योजना होगी बंद, 'इंदिरा फूड किट' शुरू करने का फैसला, BJP ने साधा निशाना

Indira Food Kit Scheme: इस बदलाव से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, BJP ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर 2023 के चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.

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Edited By: Princy Sharma
Karnataka Indira Food Kit Scheme
Courtesy: Pinterest

Karnataka Indira Food Kit Scheme: एक बड़े बदलाव के तहत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन करने वाले परिवारों को दिए जाने वाले 5 किलो चावल के कोटे को बदलकर एक नया 'इंदिरा फूड किट' शुरू करने का फैसला किया है. इस किट में 1-1 किलो हरा चना, अरहर दाल, चीनी, नमक और खाना पकाने का तेल शामिल है. 

इस बदलाव से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, BJP ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर 2023 के चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.

'इंदिरा फूड किट'

कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गुरुवार को एक बैठक के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System) से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के उद्देश्य से यह फैसला लिया. सरकार ने तर्क दिया कि चावल का दुरुपयोग हो रहा है और एक सर्वे से पता चला है कि BPL परिवार चावल की बजाय दाल, चीनी और तेल जैसी चीजों को ज्यादा पसंद करते हैं. नए फूड किट का उद्देश्य इन जरूरतों को पूरा करना और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है.

कांग्रेस अपने इस कदम का बचाव कर रही है, वहीं भाजपा ने इसे राज्य की "अन्न भाग्य" चावल योजना की विफलता बताते हुए इसकी आलोचना की है. भाजपा के अनुसार, गरीबों को फ्री चावल देने का कांग्रेस का वादा एक धोखा के अलावा और कुछ नहीं था. भाजपा ने सरकार पर जनता से किए गए अपने वादों को पूरा न करने का भी आरोप लगाया.

170 रुपये प्रति माह

इसके अलावा, कर्नाटक सरकार BPL परिवारों को 5 किलो चावल देने के बजाय 170 रुपये प्रति माह दे रही है. नीति में यह बदलाव तेलंगाना और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों से सस्ती दरों पर चावल खरीदने में सरकार को हुई कठिनाइयों के बाद आया है. परिणामस्वरूप, राज्य ने चावल वितरित करने के बजाय बीपीएल परिवारों को नकद भत्ता देने का फैसला किया. 

यह बदलाव राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर सिद्धारमैया सरकार के सामने आई कई चुनौतियों के बाद आया है. हालांकि नई खाद्य किट को एक अधिक लक्षित समाधान के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसने सबसे गरीब परिवारों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने में इसकी प्रभावशीलता को लेकर भी चिंताएं पैदा की हैं.

इस कदम ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है और केवल समय ही बताएगा कि कर्नाटक के लोग इस नीति का स्वागत करेंगे या नहीं.