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India Daily

झारखंड में सर्च अभियान में जुटे सुरक्षाबल को मिली सफलता, जंगल से छह तीर IED बरामद

झारखंड का बड़ा हिस्सा जंगल से घिरा है. जिसके अंदर भाकपा माओवादी नक्सलियों ने अपना डेरा जमा रखा है. स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और झारखंड जगुआर की मदद से इन्हें पकड़ने की लगातार कोशिश की जा रही है. जिसमें संयुक्त टीम को सफलता मिली है.

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Edited By: Shanu Sharma
Jharkhand Naxal
Courtesy: Social Media

Jharkhand Naxal:  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम स्थित कोल्हान जंगल में सर्च अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. सुरक्षाबलों ने माओवादियों के साजिश को नाकाम कर दिया है. मिल रही जानाकरी के मुताबिक  टोन्टो थानाक्षेत्र के तुम्बाहाका और बगान गुलगुलदा के बीच जंगलों  में माओवादियों ने IED बिछाए रखे थे, जिसे सुरक्षाबलों ने बरामद कर लिया है. 

सुरक्षाबलों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक भाकपा माओवादी नक्सलियों ने जंगल के रास्ते में 6 तीर IED लगा रखे थे. जिसे सुरक्षाबलों द्वारा बरामद कर लिया गया है. इसके बाद मौके पर बम निरोधक दस्ते ने आकर सभी विस्फोटक सामानों को सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया है. 

सर्च अभियान के दौरान मिली सफलता 

माओवादी नक्सलियों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा ऑपरेशन चलाया जा रहा था, लेकिन उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों ने जाल बिछा रखे थे. लेकिन उनकी ये कोशिश नाकामयाब हुई और सुरक्षाबलों ने 6 तीर IED को बरामद कर लिया जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई. अगर ये IED ब्लास्ट हो जाता तो आसपास के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता था.

भाकपा माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों द्वारा अक्तूबर 2023 से सर्च अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें स्थानीय पुलिस के साथ कोबरा 209 BN, 203 BN, सीआरपीएफ  और झारखंड जगुआर शामिल है. इस अभियान का मकसद इलाके में विध्वंसक गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म करना है. आसपास के इलाके छोटा कुईड़ा, मारादिरी, मेरालगड़ा, हाथीबुरू और कटम्बा जैसे क्षेत्रों में अभी भी अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. 

IED कितना घातक?

IED जिसे इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस कहा जाता है. यह एक तरह का विस्फोटक पदार्थ होता है जो आम तौर पर किसी भी जगह पर हमला कराने के इरादे से लगाया जाता है. आम तौर पर माओवादियों द्वारा तैयार किए जाने वाला IED छोटे-मोटे धमाके करने के लिए बनाया जाता है. जिसमें पटाखे बनाने वाले और आग लगाने वाले केमिकल भरे जाते हैं. लेकिन किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए हाई पावर के विषैले और  घातक पदार्थ इस्तेमाल किए जाते हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भी नक्सलियों ने IED का इस्तेमाल किया था.