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IIM Rohatak Student Case: '10 दिन में जारी करो रिजल्ट', चार साल से लटका था MBA छात्रा का परिणाम, IIM रोहतक पर हाईकोर्ट सख्त

IIM Rohatak Student Case: IIM रोहतक ने अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि हैंडबुक में किए गए संशोधन के आधार पर कार्रवाई हुई थी. लेकिन अगस्त 2024 में खंडपीठ ने संस्थान की अपील को खारिज कर दिया और साफ किया कि बाद में बनाए गए नियमों को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता.

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Edited By: Reepu Kumari
IIM Rohatak Student Case
Courtesy: Pinterest

IIM Rohatak Student Case: हरियाणा के रोहतक स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में पढ़ रही MBA छात्रा को चार साल से अपने अंतिम परीक्षा परिणाम का इंतजार करना पड़ा. यह मामला केवल एक छात्रा के करियर का सवाल नहीं, बल्कि शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए संस्थान को 10 दिनों के भीतर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि छात्रा का चार साल तक परिणाम रोके रखना उसके भवि ष्य के साथ खिलवाड़ है.

जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि IIM ने पूर्व आदेशों का केवल आंशिक पालन किया है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संस्थान ने दो लाख रुपये मुआवजे में से केवल 30 हजार रुपये दिए, जबकि बाकी रकम और छात्रा का रिजल्ट अभी तक जारी नहीं किया गया. अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही और न्याय में बाधा माना.

यौन उत्पीड़न मामले से शुरू हुआ विवाद

दरअसल, यह विवाद 2018-20 बैच की एक छात्रा से जुड़ा है. फरवरी 2020 में छात्रा ने कुछ अधिकारियों और एक छात्र पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. हालांकि, IIM की आंतरिक शिकायत समिति ने आरोपों को निराधार करार देते हुए उल्टा छात्रा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी. जून 2020 में संस्थान ने छात्रा को अंतिम तिमाही दोहराने और माफी मांगने का आदेश दिया.

छात्रा ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जुलाई 2024 में अदालत ने पाया कि संस्थान ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया और बिना नोटिस दिए कठोर दंड सुनाया. कोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर छात्रा को दो लाख रुपये मुआवजा देने और उसका रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया.

IIM की दलील और अदालत का रुख

IIM रोहतक ने अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि हैंडबुक में किए गए संशोधन के आधार पर कार्रवाई हुई थी. लेकिन अगस्त 2024 में खंडपीठ ने संस्थान की अपील को खारिज कर दिया और साफ किया कि बाद में बनाए गए नियमों को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता. सुनवाई के दौरान IIM की ओर से पेश अधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि छात्रा का रिजल्ट 13 सितंबर 2025 तक घोषित कर दिया जाएगा.

हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को गंभीर अन्याय बताते हुए कहा कि चार वर्षों तक छात्रा का करियर रोकना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी चोट है. अदालत ने साफ कहा कि छात्रा को मौद्रिक मुआवजा मिलना चाहिए और उसका भविष्य सुरक्षित किया जाना चाहिए.