सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को बड़ी राहत दी है. देश की टॉप अदालत ने ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मी़डिया पोस्ट मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से ट्रायल कोर्ट को रोका है. प्रोफेसर अली खान के खिलाफ पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं. सोमवार को कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागजी की बेंच ने हरियाणा पुलिस की विशेष जांच दल (एसआईटी) से यह भी कहा कि वह अगली सुनवाई तक महमूदाबाद के खिलाफ आरोप तय नहीं कर सकती है. इस सुनवाई के दौरान हरियाणा पुलिस ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसने महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है.
SC restrains trial court from taking cognisance of chargesheet filed against Ashoka University professor for social media posts on Op Sindoor
— Press Trust of India (@PTI_News) August 25, 2025
ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को केंद्र सरकार द्वारा चुने जाने की अशोका यूनिविर्सिटी के प्रोफेसर अली खान ने आलोचना की थी. इसके बाद इन पोस्ट के लिए उनकी गिरफ्तारी भी की गई थी. तीन दिन बाद उन्हें इस शर्त पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत दी गई थी कि वो ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट नहीं डालेंगे. इसके अलावा इसे लेकर वो न कोई भाषण देंगे. उनसे अपना पासपोर्ट जमा करने के निर्देश भी दिए गए थे.
कश्मीर में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सीमा पार पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए केंद्र सरकार के आदेश के बाद भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया. मई में चलाए गए इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे. हालांकि बाद में दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए थे.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बाद में प्रोफेसर की जमानत की शर्तो में ढील दी थी. उनसे विचाराधीन मामले को छोड़कर पोस्ट, लेख लिखने और कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दे दी. 28 मई को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रोफेसर के बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार में कोई बाधा नहीं है, लेकिन उन्हें अपने खिलाफ मामलों के बारे में ऑनलाइन कुछ भी शेयर करने से रोक दिया गया.