नई दिल्ली: दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित मजनू का टीला जो रेस्तरां, कैफे, बेकरी और अन्य चीजों का एक लोकप्रिय केंद्र है, वहां के कुछ कैफे को हटाया जा सकता है क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अधिकारियों को उन रेस्तरां और अन्य संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिनके पास स्वीकृत भवन योजनाएं और सुरक्षा उपाय मौजूद नहीं हैं.
पीटीआई समाचार एजेंसी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और याचिका का निपटारा किया, जिसमें कहा गया था कि मजनू का टीला की बहुमंजिला इमारतों में कई अनधिकृत रेस्तरां संचालित किए जा रहे हैं. मजनू का टीला यमुना नदी के किनारे स्थित है और याचिका के अनुसार, अनधिकृत रेस्तरां का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.
अदालत ने कहा, "हम याचिकाकर्ता की शिकायतों की समीक्षा करने के बाद कानून के तहत उचित कार्रवाई करने के निर्देश के साथ याचिका का निपटारा करते हैं." अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मामले में पहले ही स्वतः संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज करा दी है.
अदालत ने अधिकारियों को डीडीए द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर शीघ्र निर्णय लेने और कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया, अधिमानतः तीन महीने के भीतर. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति गेडेला ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के आधे छात्र मजनू का टीला कैफे और रेस्तरां में जाते हैं और उन्होंने हल्के-फुल्के लहजे में कहा, "मोमोज के ठेले को छोड़कर, बाकी सब कुछ हटा दिया जाएगा."
यह याचिका अर्नव सिंह और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी और इसमें दावा किया गया था कि मजनू का टीला और न्यू अरुणा नगर में कई इमारतें 7-8 मंजिला ऊंची हैं और उनमें "अवैध" तहखाने, छतें और मनोरंजन सुविधाएं मौजूद हैं.
याचिका में दावा किया गया है कि "इन इमारतों की संरचनात्मक और परिचालन स्थितियां तत्काल और जानलेवा खतरा पैदा करती हैं." इसमें यह भी कहा गया है कि अधिकांश इमारतों में सीढ़ियां केवल तीसरी या चौथी मंजिल तक ही जाती हैं, जिससे "छोटी, कम क्षमता वाली" लिफ्ट ही एकमात्र ऊर्ध्वाधर पहुंच का साधन रह जाती हैं.
याचिकाकर्ताओं ने गोवा के एक नाइट क्लब में 6 दिसंबर को लगी आग में 25 लोगों की मौत की हालिया त्रासदी का भी हवाला दिया और कहा कि यह घटना "इसी तरह की परिस्थितियों में क्या हो सकता है इसकी एक कड़ी चेतावनी" है.