आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस आदेश का कड़ा विरोध किया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में गवाही देने की अनुमति दी गई है. आप के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने इसे "न्याय व्यवस्था का मजाक" करार देते हुए कहा, "एलजी साहब के इस बेतुके फरमान ने पूरी न्याय व्यवस्था का मजाक बना दिया है. यह पूरी तरह से अवैध और गैर-कानूनी है." इस आदेश के खिलाफ दिल्ली की जिला अदालतों में हड़ताल चल रही है, जो सोमवार तक जारी रहेगी.
पुलिस की बढ़ेगी मनमानी
भारद्वाज ने कहा कि पुलिस पर पहले से ही सरकार के दबाव में झूठे मुकदमे दर्ज करने के आरोप लगते रहे हैं. इस आदेश से पुलिस की मनमानी और बढ़ेगी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पुलिस अधिकारी थाने से गवाही देंगे, तो वकील उनसे जिरह नहीं कर पाएंगे. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "अगर वकील ने तीखा सवाल पूछा और पुलिस की गवाही कमजोर पड़ने लगी, तो वह कैमरा बंद कर देगा और कहेगा कि इंटरनेट चला गया."
यह न्याय प्रणाली को कमजोर करने की साजिश
दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है. आप की एडवोकेट विंग के दिल्ली अध्यक्ष संजीव नासियार ने कहा, "इस आदेश से पुलिस की शक्तियां बढ़ेंगी और कोर्ट में जिरह नहीं हो सकेगी, जो न्याय प्रणाली को कमजोर करने की साजिश है." उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने पर भी वकीलों ने विरोध किया था, और गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि गवाही केवल कोर्ट में ही होगी.
केंद्र सरकार पर हमला
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के आने के बाद दिल्ली में कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा, "मिडिल क्लास पर हमला हुआ, स्कूलों की फीस बढ़ी, बिजली कटौती शुरू हुई, और अब वकीलों को परेशान किया जा रहा है." आप की लीगल विंग इस हड़ताल को पूर्ण समर्थन देगी और आदेश वापस लेने के लिए संघर्ष जारी रखेगी.