Rashtraniti programme in Delhi school: शिक्षा के पाठ्यक्रम को बदलते दौर और नई सोच के साथ जोड़ने की दिशा में दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. राजधानी के सरकारी स्कूलों में अब छात्र सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें 'राष्ट्रनीति' कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान के बारे में पढ़ाया जाएगा.
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने घोषणा की कि यह कार्यक्रम बच्चों को न केवल इतिहास से जोड़ने का काम करेगा, बल्कि उन्हें लोकतंत्र और जिम्मेदार नागरिकता की समझ भी देगा.
'राष्ट्रनीत' कार्यक्रम में RSS के इतिहास, सिद्धांतों और समाजसेवा में निभाई गई भूमिका को शामिल किया गया है. छात्रों को बताया जाएगा कि संगठन ने कैसे रक्तदान शिविर, भोजन वितरण और आपदाओं के समय राहत कार्यों में योगदान दिया, चाहे वह केदारनाथ त्रासदी हो, बिहार की बाढ़ या कोविड-19 महामारी का दौर. साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जाएगा कि RSS केवल एक संगठन ही नहीं बल्कि सेवा और अनुशासन की भावना को आगे बढ़ाने वाला आंदोलन है.
कार्यक्रम के तहत छात्रों को वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं की भूमिका के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाएगा. साथ ही, इसमें सुभाष चंद्र बोस जैसे भूले-बिसरे नायकों पर भी खास ध्यान दिया जाएगा. इसका उद्देश्य बच्चों को यह समझाना है कि आजादी की लड़ाई केवल कुछ चुनिंदा नेताओं तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें अनेक व्यक्तित्वों ने योगदान दिया, जिनकी कहानियां अब तक कम पढ़ाई जाती रही हैं.
'राष्ट्रनीति' के पाठ्यक्रम में छात्रों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं की यात्रा और उनके मूल्यों से भी अवगत कराया जाएगा. इस हिस्से का मकसद यह दिखाना है कि कैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेताओं ने देश की राजनीति और समाज में गहरी छाप छोड़ी. इन कहानियों के जरिए बच्चों को नेतृत्व, जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों की सीख मिलेगी.
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शिक्षकों को भी तैयार किया जा रहा है. SCERT में प्रशिक्षण सत्र चल रहे हैं और शिक्षकों के लिए विशेष हैंडबुक तैयार की गई है. अभी यह तय होना बाकी है कि कौन-सी कक्षाओं में कौन-से अध्याय पढ़ाए जाएंगे. 'राष्ट्रनीति' कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 18 सितंबर को भारत मंडपम में किया. इसे 'नमो विद्या उत्सव' के तहत लॉन्च किए गए तीन नए पाठ्यक्रमों में से एक बताया गया.