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AAP ने गुजरात में आदिवासी हितों की अनदेखी पर BJP सरकार पर साधा निशाना

AAP ने गुजरात में आदिवासी समुदाय की अनदेखी को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. नेताओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य और छात्रवृत्ति में कमी की आलोचना की और वीआईपी कार्यक्रमों पर भारी खर्च को सवालों के घेरे में रखा.

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Kuldeep Sharma

नई दिल्ली: गुजरात में आदिवासी समुदाय के मुद्दों को लेकर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार को घेरा. पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. 

इसमें  उन्होंने कहा कि आदिवासी बच्चों, छात्रों और बीमार लोगों के हितों की अनदेखी हो रही है. वहीं, सरकारी खर्च वीआईपी कार्यक्रमों और मंचों पर किया जा रहा है. नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि आदिवासी विरोधी मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण है.

आदिवासी बच्चों और छात्रों की समस्याएं

अनुराग ढांडा ने कहा कि आदिवासी बच्चों के लिए छात्रवृत्तियां बंद हैं, सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारियों के लिए वित्तीय सहायता नहीं मिल रही और आंगनवाड़ी के बिल अटके पड़े हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार के पास पैसा है, तो बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर क्यों खर्च नहीं किया जा रहा. आदिवासी समाज की वास्तविक जरूरतों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है.

दिखावटी विकास का आरोप

दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इसे 'दिखावटी विकास' करार दिया. उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में कुपोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं हैं, लेकिन सरकार की प्राथमिकता मंच, डोम और वीआईपी मेहमानों की सुविधाओं में है. आदिवासी समाज को भाषणों और तस्वीरों तक सीमित करना विकास नहीं बल्कि उनके हक की अनदेखी है.

खर्च के चौंकाने वाले आंकड़े

AAP नेताओं ने बताया कि डेडियापाड़ा से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार, वीआईपी कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए. पंडाल पर ₹7 करोड़, डोम पर ₹3 करोड़, मंच निर्माण पर ₹5 करोड़, वीआईपी चाय-सामोसे पर ₹2 करोड़ और बसों पर ₹7 करोड़ खर्च हुए. वहीं आदिवासी छात्रावासों में बच्चों को पूरे महीने सिर्फ ₹2,100 दिए जाते हैं.

स्वास्थ्य और पोषण में कमी

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सिकल सेल पीड़ित आदिवासी परिवारों को सहायता नहीं मिल रही. दो साल से छात्रवृत्तियां बंद हैं. स्कूलों में कक्षाओं की कमी है और हजारों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. वहीं, यूनिटी मार्च और वीआईपी कार्यक्रमों पर धन का खुला खर्च देखा जा रहा है. यह आदिवासी समाज के प्रति सरकार की प्राथमिकताओं को उजागर करता है.

AAP का संदेश और मांग

दोनों नेताओं ने साफ कहा कि आम आदमी पार्टी आदिवासी समाज को सिर्फ वोट बैंक नहीं मानती. असली विकास वही है जिसमें बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान मिले. पार्टी ने सवाल उठाया कि क्या विकास सिर्फ मंचों और कैमरों के लिए है या उन बच्चों के लिए भी, जिनका भविष्य फाइलों और रिपोर्टों में अटका हुआ है. आदिवासी आवाज अब पूरे देश में सुनी जा रही है.