RJD-Congress Dispute: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक से बीच में ही उठकर निकल गए. उन्होंने कहा कि 'ऐसे हालात में गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता.' तेजस्वी राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात किए बिना ही पटना लौट गए.
सूत्रों के मुताबिक बैठक में तेजस्वी ने कांग्रेस को अपने दिए ऑफर पर अड़े रहते हुए कहा कि पार्टी अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगी. वहीं, कांग्रेस ने बिहार में मजबूत सीटों पर दावा बरकरार रखा है. राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस नेताओं को पहले ही निर्देश दिया था कि वे ऐसी सीटें न छोड़ें जहां पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है.
पटना में लालू यादव ने बिना फॉर्मूला तय हुए ही आरजेडी का चुनाव सिंबल बांटना शुरू कर दिया था, हालांकि तेजस्वी के पहुंचने पर जिनको सिंबल दिए गए थे उनसे वापस लिए गए. कांग्रेस 61 सीटों की मांग कर रही है जबकि आरजेडी कुछ खास सीटें देने को तैयार नहीं. जिन सीटों पर पेच फंसा है, उनमें कहलगांव, नरकटियागंज, वारिसलीगंज, चैनपुर और बछवाड़ा शामिल हैं. कहलगांव को कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ माना जाता है, जबकि बाकी सीटों पर सामाजिक समीकरणों को लेकर मतभेद जारी हैं.
वहीं, तेजस्वी यादव विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी से भी नाराज बताए जा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी को सहनी की नीयत पर शक है और उन्हें आरजेडी की 10 सीटों पर सिंबल दिए जाने से भ्रम की स्थिति बन गई है. ऐसी खबरें हैं कि सहनी बीजेपी से संपर्क में हैं, हालांकि महागठबंधन के नेताओं ने इस दावे को खारिज किया है.
कांग्रेस ने बैठक में वीआईपी को लेकर फैसला तेजस्वी पर छोड़ दिया और कहा कि जो भी निर्णय आरजेडी लेगी, कांग्रेस उसका समर्थन करेगी. दिलचस्प बात यह रही कि सहनी भी दिल्ली आए थे लेकिन राहुल गांधी या खड़गे से मिले बिना ही वापस पटना लौट गए. राहुल गांधी ने 10 जनपथ में बिहार कांग्रेस नेताओं से बैठक में कहा था कि सीटें भले 60 या 65 हों, लेकिन पार्टी को अपनी मजबूत सीटों से समझौता नहीं करना चाहिए. उधर, खड़गे ने बिहार कांग्रेस को सलाह दी कि तेजस्वी से संवाद बनाए रखें और 14 अक्टूबर तक सीट बंटवारे पर सहमति बना लें. कांग्रेस ने प्लान बी भी तैयार कर लिया है, ताकि अगर आरजेडी से सहमति न बने तो पार्टी अपने दम पर चुनाव रणनीति तय कर सके.