बिहार विधान परिषद द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अनुचित टिप्पणी के कारण राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एमएलसी सुनील कुमार सिंह को निष्कासित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
बृहस्पतिवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान बिहार विधान परिषद ने अपने निर्णय को सही ठहराया. अधिवक्ता रंजीत कुमार ने यह भी तर्क दिया कि सिंह का मामला मोहम्मद कारी सोहेब से अलग है.
निष्कासन पर विधान परिषद का पक्ष
विधान परिषद ने दलील दी कि सुनील कुमार सिंह ने न केवल आचार समिति की बैठकों से दूरी बनाई बल्कि उन्होंने अपनी विवादास्पद टिप्पणियों पर खेद भी व्यक्त नहीं किया. परिषद के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ से कहा कि सिंह ने समिति की वैधता और उसके गठन पर सवाल उठाए हैं.
सोहेब और सिंह के मामले में अंतर
अधिवक्ता रंजीत कुमार ने यह भी तर्क दिया कि सिंह का मामला मोहम्मद कारी सोहेब से अलग है. सोहेब ने अपने कृत्य पर खेद व्यक्त किया था और आचार समिति की कार्यवाही में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें केवल दो दिनों के लिए निलंबित किया गया. जबकि सिंह ने कोई सहयोग नहीं किया और अड़ियल रवैया अपनाए रखा.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि आचार समिति पर सवाल उठाना और बैठकों में भाग न लेना कदाचार के दायरे में नहीं आता. पीठ ने यह भी कहा कि सिंह के लिए कुछ राहत संभव है, क्योंकि उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया और समिति के गठन पर सवाल उठाए.
सिंह पर पहले भी कार्रवाई
विधान परिषद ने बताया कि सुनील कुमार सिंह को पहले भी अनुचित आचरण के लिए निलंबित किया जा चुका है. परिषद ने कहा कि कार्यवाही की वीडियो क्लिप उपलब्ध नहीं कराई जा सकती, क्योंकि यह गोपनीय संपत्ति है.
अगली सुनवाई की तारीख तय
शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई का आदेश दिया है. साथ ही, उस सीट पर उपचुनाव के नतीजे घोषित करने पर भी रोक लगाई गई है, जिस पर सिंह का प्रतिनिधित्व था.
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