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Rajdev Ranjan Murder Case: पत्रकार राजदेव रंजन हत्या केस में नौ साल बाद आया फैसला, CBI कौर्ट ने तीन अपराधियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

Rajdev Ranjan Murder Case: शहाबुद्दीन की 2021 में कोविड से मृत्यु हो गई और उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया. सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, जांच एजेंसी ने बिहार सरकार के अनुरोध और भारत सरकार की अधिसूचना पर 15 सितंबर, 2016 को मामला दर्ज किया.

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Reepu Kumari

Rajdev Ranjan Murder Case: सीबीआई अदालत ने 2016 में बिहार के सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में बुधवार को तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नमिता सिंह ने दोषियों रोहित कुमार सोनी, विजय कुमार गुप्ता और सोनू कुमार गुप्ता पर कुल 1.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

हिंदी दैनिक हिंदुस्तान में कार्यरत रंजन की 13 मई 2016 को सीवान के एक फल बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि इस हत्या में राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन शामिल थे, जिसके बाद बिहार सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था.

15 सितंबर, 2016 को मामला दर्ज

शहाबुद्दीन की 2021 में कोविड से मृत्यु हो गई और उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया. सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, जांच एजेंसी ने बिहार सरकार के अनुरोध और भारत सरकार की अधिसूचना पर 15 सितंबर, 2016 को मामला दर्ज किया. अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ सीवान पुलिस स्टेशन में पहले से दर्ज मामले की जांच अपने हाथ में ले ली.

आरोप पत्र दायर 

सीबीआई ने 21 दिसंबर 2016 को एक नाबालिग के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. इसने शहाबुद्दीन, उसके कथित गुर्गे मोहम्मद अजहरुद्दीन बेग, जिसे लड्डन मिया के नाम से भी जाना जाता है, विजय कुमार गुप्ता, रोहित सोनी, राजेश कुमार, रिशु जायसवाल, सोनू कुमार गुप्ता और नाबालिग के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और हत्या सहित भारतीय दंड संहिता के तहत अन्य आरोपों के तहत एक मजबूत दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया.

एक नाबालिग भी शामिल

सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी, जो अपराध के समय नाबालिग था, का मुकदमा किशोर न्यायालय में चल रहा है. बचाव पक्ष के वकील शरद सिन्हा ने पिछले सप्ताह दोषसिद्धि के बाद संवाददाताओं को बताया था कि लड्डन मियां और दो अन्य आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि अदालत ने मुजफ्फरपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़िता को कानून के अनुसार मुआवजा देने का निर्देश दिया है.