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'RJD को खुद में झांकने की जरुरत...', लालू यादव के पारिवारिक विवाद पर राबड़ी देवी के भाई साधु यादव का तीखा वार

साधु यादव ने आरजेडी की हार और रोहिणी आचार्य की नाराजगी के बीच पार्टी को आत्ममंथन की सलाह दी है. उन्होंने नेताओं को ओवरकॉन्फिडेंस छोड़ने और जनता की राय समझने की बात कही है.

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Km Jaya

पटना: लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा राजनीति छोड़ने और परिवार से दूरी बनाने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में बढ़ती उथल-पुथल के बीच, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण का आह्वान करते हुए कई तीखी टिप्पणियां की हैं.

पटना में पत्रकारों से बात करते हुए, साधु यादव ने सीधे तौर पर किसी का नाम लिए बिना कहा कि स्थिति 'विचार-विमर्श और गहन चिंतन' वाली है. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राजद आंतरिक असंतोष और राज्य चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन से जूझ रही है.

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साधु यादव ने कटाक्ष करते हुए क्या कहा?

पार्टी के कुछ नेताओं पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, 'किसी को भी अति-आत्मविश्वासी या आत्म-घोषणा नहीं करनी चाहिए. कोई कह रहा था, 'मैं मुख्यमंत्री बनूंगा', कोई कह रहा था, 'मैं उप-मुख्यमंत्री बनूंगा'. ये दावे उन्होंने खुद किए, लेकिन जनता ने कभी नहीं कहा कि वे उन्हें मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री बनाएंगे. जनता ने कभी ऐसा नहीं कहा; वे खुद ही घोषणा करते रहे.'

RJD की चुनावी स्थिति पर क्या कहा?

उन्होंने राजद की गिरती चुनावी स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'राजद का प्रदर्शन खराब हुआ है. यह स्वीकार्य नहीं है. इसे समझने और इस पर विचार करने की आवश्यकता है. ध्यान से सोचने और सुधार करने की आवश्यकता है.'

बिहार की राजनीति पर क्या कहा?

विधानसभा परिणामों के बाद बिहार की राजनीति की व्यापक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, यादव ने कहा, 'यह लोकतंत्र को मजबूत करने का मामला है. कहीं न कहीं, लोकतंत्र कमजोर और पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं दिखाई देता है.' साधु यादव ने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलकर लोकतंत्र को मजबूती देने की दिशा में काम करना चाहिए ताकि जनता का भरोसा बना रहे.

आरजेडी में जारी खींचतान, रोहिणी की नाराजगी और नेताओं की महत्वाकांक्षा ने पार्टी की स्थिति को और जटिल बना दिया है. साधु यादव के बयान के बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर और भी चर्चाएं तेज होंगी और संभव है कि नेतृत्व को कई महत्वपूर्ण फैसले लेने पड़ें.