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नेपाल में बाढ़ से हाहाकार, केंद्र सरकार ने मदद के लिए बढ़ाया अपना हाथ

नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बिहार पर कहर टूट रहा है. कौसी अपना रौद्र रूप दिखा रही है तो अन्य सहायक नदियों में जलस्तर लगातार बढता जा रहा है, बीते 24 घंटों में दरभंगा बाढ़ के पानी की मार से जुझ रहा है. शहर से लेकर कस्बे व गांवों में 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए है.

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Madhvi Tanwar
Bihar news
Courtesy: Social Media

नेपाल में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बिहार पर कहर टूट रहा है. कौसी अपना रौद्र रूप दिखा रही है तो अन्य सहायक नदियों में जलस्तर लगातार बढता जा रहा है, बीते 24 घंटों में दरभंगा बाढ़ के पानी की मार से जुझ रहा है. शहर से लेकर कस्बे व गांवों में 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए है. पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीमामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, मुज्जफरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, सहरसा और कटियार जिला बाढ़ की चपेट में पूरी तरह से आ चुका है. इन क्षेत्रों में आने आने वाले खेत व गांव पूरी तरह से जल मग्न हो चुके हैं. आम लोगों का जन जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है. इसके साथ ही बाढ़ का पानी अन्य क्षेत्रों को अपने आगोश में लेता जा रहा है. 

केंद्र सरकार ने मदद के लिए बढ़ाया अपना हाथ

बीते दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई जायजा लिया. इसके बाद सीएम ने कहा कि सरकारी खजाने पर पहला अधिकार आपसा पीड़ित लोगों का है. उन्हें समय से तमाम सुविधाएं मुहैय्या कराई जाएगी. सीएम ने अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि राहत बचाव कार्य में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए. सीएम ने आपदा राहत कोष से 655 करोड़ की मदद देने का भी ऐलान किया है. 
बाढ़ की मार से सबसे ज्यादा किसान हुआ प्रभावित

केंद्र सरकार ने आपदा प्रभावित लोगों के लिए 58900 करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज का भी ऐलान करा है. केंद्र सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह आकलन करें कि इस बाढ़ से कितना नुकसान हुआ. बाढ़ की मार सबसे ज्यादा बिहार के किसानों पर आई है. क्योंकि बाढ़ के पानी में किसानों के खेत तक पूरी तरह से जल मग्न हो चुके हैं. 

राहत शिविरों का भी सरकार ने किया प्रबंध

सरकार ने 24 स्थानों पर राहत शिविरों का भी प्रबंध किया है. बचाव दल द्वारा इन राहत शिविरों में लोगों को पहुंचा दिया गया है. अभी तकरीबन 12 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों की शरण में हैं. 840 नावे व 10 बोट एंबुलेंस को भी चलाया गया है।   

इन नदियों ने खराब की स्थिति

दरअसल नदियों के ऊपरी क्षेत्रों में जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन निचले स्तर में संकट की स्थिति पैदा हो गई है. यह परिस्थिति तटबंधों के टूटने की वजह से हुई. गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा समेत कई अन्य सहायक नदियों इस बार बिहार में अपना तांडव दिखा रही है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ डिजास्टर मेनेंजमेंट की टीम भी मुस्तैद बनी हुई है.