पत्नी की मौत के बाद बिखरा पति, पांच बच्चों के साथ लगाई फांसी, जानें कैसे बची दो बेटों की जान

मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र में एक पिता ने पत्नी की मौत के बाद मानसिक तनाव में आकर पांच बच्चों के साथ फांसी लगाने की कोशिश की.

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Km Jaya

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. सकरा थाना क्षेत्र के नवलपुर मिश्रौलिया गांव में एक पिता ने अपने पांच बच्चों के साथ फांसी लगाकर जान देने की कोशिश की. इस दर्दनाक घटना में पिता और उसकी तीन बेटियों की मौत हो गई, जबकि दो छोटे बेटे चमत्कारिक रूप से बच गए. एक ही परिवार में चार मौतों से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.

मृतक पिता की पहचान अमरनाथ राम उम्र करीब 40 वर्ष के रूप में हुई है. मृत बेटियों में 11 साल की राधा कुमारी, 9 साल की राधिका और 7 साल की शिवानी शामिल हैं. जानकारी के अनुसार अमरनाथ राम की पत्नी की इसी साल जनवरी में बीमारी के चलते मौत हो गई थी. पत्नी की मौत के बाद से वह गहरे मानसिक तनाव में था और अकेले ही अपने पांच बच्चों की जिम्मेदारी संभाल रहा था.

परिजनों और ग्रामीणों ने क्या बताया?

परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि रविवार की रात परिवार ने एक साथ खाना खाया था. इसके बाद सोमवार की अहले सुबह अमरनाथ राम ने पत्नी की साड़ी से फंदा बनाया. उसने अपने तीनों बेटियों और दो बेटों के गले में फंदा डाला और फिर साड़ी को छत से बांध दिया. इसके बाद सभी बच्चों को एक ट्रंक पर खड़ा कर कूदने को कहा गया.

कैसे बचे दोनों बेटे?

बताया जा रहा है कि पिता के कहने पर तीनों बेटियां कूद गईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. वहीं छह साल के शिवम कुमार ने गला कसते महसूस होने पर सूझबूझ दिखाई और किसी तरह फंदा ढीला कर लिया. उसने अपने छोटे भाई चार साल के चंदन के गले से भी फंदा खोल दिया. दोनों बच्चे किसी तरह घर से बाहर निकले और जोर जोर से रोने लगे. शोर सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और दोनों बच्चों को बचाया.

घटना की सूचना मिलते ही सकरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की. उसके बाद चारों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला पारिवारिक तनाव और मानसिक परेशानी से जुड़ा लग रहा है.

क्यों उठाया ऐसा खौफनाक कदम?

गांव वालों ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद अमरनाथ राम पूरी तरह टूट चुका था. वह नियमित काम पर नहीं जा पा रहा था. घर का खर्च मुश्किल से चल रहा था और बड़ी बेटी ही छोटे भाई बहनों की देखभाल करती थी. गांव के लोगों ने कहा कि दो बच्चों की जान बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है.