Bihar assembly election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का विवाद अब खुलकर सामने आ गया है. वैशाली और लालगंज विधानसभा सीटों पर राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. बछवारा, गौरा बौराम और रोसरा जैसी अन्य सीटों पर भी गठबंधन के दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ पर्चा भरा है.
इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा हुई है बल्कि गठबंधन की चुनावी रणनीति भी प्रभावित हो रही है.
वैशाली विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी संजीव कुमार और राजद के अजय कुशवाहा ने नामांकन दाखिल किया है. दोनों दलों के कार्यकर्ता अब यह तय नहीं कर पा रहे कि किस उम्मीदवार के लिए प्रचार करें. लालगंज में राजद ने बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने आदित्य कुमार राजा को मैदान में उतारा है. सांसद पप्पू यादव भी लालगंज के नामांकन के समय मौजूद रहे. इस टकराव से महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
बेगूसराय की बछवारा विधानसभा सीट पर किसान इंसान पार्टी (Kisan Insaan Party) के अवधेश कुमार राय और कांग्रेस के शिव प्रकाश गरीबदास ने नामांकन दाखिल किया है. दरभंगा की गौरा बौराम सीट पर RJD से अफजल अली खान और VIP पार्टी से संतोष साहनी मैदान में हैं. दोनों ही दल महागठबंधन के हिस्से हैं, जिससे इन सीटों पर विवाद बढ़ गया है और गठबंधन कार्यकर्ताओं में असमंजस है.
समस्तीपुर की रोसरा विधानसभा सीट पर CPI से लक्ष्मण पासवान और कांग्रेस के वी. के. रवि के बीच टक्कर है. कहलगांव सीट पर RJD ने रजनीश यादव को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है और मतदान दूसरे चरण में होगा. इस स्थिति से महागठबंधन की रणनीति पर गंभीर असर पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ फोन पर बातचीत की थी. इस चर्चा में महागठबंधन में सीटों को लेकर चल रहे गतिरोध को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. बातचीत के दौरान लालू प्रसाद यादव ने मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से स्पष्ट कहा कि गठबंधन के लिए हमारे फॉर्मूले का पालन करना ही सबसे उपयुक्त रहेगा.
विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन में क्षेत्रीय नेताओं की महत्वाकांक्षा और सीट बंटवारे में तालमेल की कमी ने महागठबंधन को कमजोर किया है. अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो गठबंधन को इन सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस बार के चुनाव में विपक्ष के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण परिस्थिति बन गई है. कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति भी गहराती दिख रही है.