संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने केंद्र सरकार की नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केटिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (NPFAM) के खिलाफ 24 से 26 मार्च तक पटना में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. मोर्चा ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर इस आंदोलन की जानकारी दी.
NPFAM के मसौदा नीति के अनुसार, इसका फोकस "देश में एक प्रभावी एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सिस्टम तैयार करना है, जिससे किसान अपनी उपज के लिए सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने हेतु अपने पसंदीदा बाजार का चयन कर सकें."हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने इस नीति को पूर्व में निरस्त किए गए कृषि कानूनों से भी अधिक खतरनाक बताया है. किसानों का आरोप है कि यह नीति कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट नियंत्रण में लाने का एक नया प्रयास है, जिससे छोटे और सीमांत किसान भारी संकट में आ सकते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 11 फरवरी को बिहार के मसौढ़ी में आयोजित महापंचायत में इस नीति के खिलाफ पटना में व्यापक विरोध प्रदर्शन का फैसला लिया गया था. इस महापंचायत में हजारों किसानों ने भाग लिया था और केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाज बुलंद की थी.
बिहार विधानसभा में NPFAM को खारिज करने का प्रस्ताव पारित किया जाए.
‘सी2+50%’ फॉर्मूले के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दी जाए.
किसानों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लागू की जाए.
बिहार में कृषि बाजारों के निजीकरण और एमएसपी को लेकर लंबे समय से असंतोष बढ़ रहा है. इससे पहले भी किसानों ने एमएसपी की गारंटी को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन किया है, लेकिन केंद्र सरकार अब तक इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपना पाई है.
संयुक्त किसान मोर्चा का यह आंदोलन पटना में सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. यदि किसानों की मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो भविष्य में आंदोलन और उग्र हो सकता है.