Bihar Chunav: बिहार में राहुल की यात्रा ने बदली कांग्रेस की रणनीति, तेजस्वी को चुभ तो नहीं जाएगा ये प्लान!

Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. पार्टी ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लगातार बिहार दौरे की योजना बनाई है, ताकि ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से मिले मोमेंटम को भुनाया जा सके. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इस बार सीट बंटवारे में 'सम्मानजनक हिस्सेदारी' से कम पर राजी नहीं होगी, जिससे आरजेडी और तेजस्वी यादव पर दबाव बढ़ सकता है.

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Babli Rautela

Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को तेज कर दिया है. पार्टी अब महागठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है. दिल्ली में हुई कांग्रेस की एक अहम बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया. इस बैठक में यह तय हुआ कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बिहार का लगातार दौरा करेंगे, जिससे पार्टी को सीधा राजनीतिक लाभ मिल सके.

कांग्रेस ने हाल ही में बिहार में अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के ज़रिए कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच नई ऊर्जा पैदा की थी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस यात्रा ने कांग्रेस को राज्य की राजनीति में एक नई पहचान दी है. बैठक में इस पर सहमति बनी कि इस उत्साह और बढ़े हुए ग्राफ को बनाए रखना बेहद जरूरी है. यही वजह है कि राहुल गांधी और दूसरे बड़े नेताओं के दौरे का शेड्यूल तय किया गया है. पार्टी का मानना है कि इन लगातार दौरों से न सिर्फ कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा होगा बल्कि जनता में भी कांग्रेस की पकड़ मजबूत होगी. साथ ही, इससे महागठबंधन में कांग्रेस की स्थिति और बेहतर हो सकती है.

सीट बंटवारे पर कांग्रेस की रणनीति

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस का मानना है कि ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद पार्टी की लोकप्रियता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में पार्टी अब पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों की मांग कर सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार पार्टी को भरोसा है कि उसे और ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अब महागठबंधन में 'सम्मानजनक सीटों' की मांग से पीछे नहीं हटेगी.

तेजस्वी यादव पर बनेगा दबाव?

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि आरजेडी और तेजस्वी यादव को चुनाव में कांग्रेस के सहयोग की जरूरत है. ऐसे में कांग्रेस इस बार समझौते में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतना चाहती है. पार्टी की रणनीति साफ है कि उसे गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी और दबदबा दोनों बढ़ाना है. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस का यह कदम महागठबंधन की सीट बंटवारे की बातचीत में सीधे तौर पर दबाव की स्थिति बनाएगा. पार्टी का मानना है कि अगर राहुल और प्रियंका गांधी लगातार बिहार में सक्रिय रहते हैं, तो इससे न केवल कांग्रेस की साख बढ़ेगी बल्कि तेजस्वी यादव को भी कांग्रेस की शर्तों पर विचार करना पड़ेगा.