पटना: बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद सोशल मीडिया पर 'जंगल राज' के अनुभवों की बाढ़ सी आ गई. 90 के दशक के लोग, जिन्होंने लालू प्रसाद यादव के शासन के दौरान अपने बचपन का अनुभव किया, अपने निजी किस्से साझा कर रहे हैं.
अपहरण, सशस्त्र गुंडों का आतंक, और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसी घटनाओं को लेकर लोग यादें ताजा कर रहे हैं. यह दौर युवा मतदाताओं के मन में भय और असुरक्षा की यादें छोड़ गया, जो चुनाव परिणाम में स्पष्ट रूप से झलक रही हैं.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने बताया कि कैसे उन्हें 15 साल की उम्र में पढ़ाई या नौकरी के लिए अपने घर छोड़ने पड़े. EngiNerd ने लिखा कि लालू यादव के शासन ने उन्हें और कई युवाओं को परिवार से दूर रहने पर मजबूर किया. Ashish Bhutada ने 1993 में बिहार में लोगों को खुलेआम बंदूकें लिए घूमते देखा. कई अन्य ने बताया कि उस समय महिलाओं के खिलाफ अपराध सामान्य था, लेकिन डर के कारण रिपोर्ट नहीं हो पाते थे.
'जंगल राज' शब्द 1997 में पटना हाईकोर्ट के एक जज ने कहा था, जब शहर में खराब नागरिक व्यवस्था की शिकायत की गई थी. इसके बाद यह शब्द RJD और लालू यादव से जुड़ा. 1997 में जहानाबाद में दलित समुदाय के 60 सदस्यों की हत्या और भ्रष्टाचार के मामले ने इसे और मजबूत किया. यह लक्षण अब भी RJD के चुनाव अभियान पर भारी असर डाल रहा है, और Tejashwi यादव को इसका सामना करना पड़ रहा है.
लोगों ने साझा किया कि उनके परिवारों ने उनकी सुरक्षा के लिए बड़े समझौते किए. कई बच्चों को बोर्डिंग स्कूल भेजा गया, घर से दूर रहना पड़ा, और कई बार उन्हें रेलवे स्टेशन पर इंतजार करना पड़ा ताकि जीवन सुरक्षित रहे. इस दौर में कई परिवारों ने अपने पूर्वजों की जमीन तक खो दी. यह सब 90 के दशक के युवाओं के लिए भय और असुरक्षा का दौर था.
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने एनडीए की जीत को व्यक्तिगत और सामाजिक विजय के रूप में देखा. कई लोगों ने कहा कि दो पीढ़ियों की असुरक्षा और भय के बावजूद आज की चुनावी सफलता ने उन्हें खुशी दी. लोग अपने अनुभव साझा कर, न केवल व्यक्तिगत राहत महसूस कर रहे हैं बल्कि बिहार में कानून व्यवस्था की बहाली की खुशी भी मना रहे हैं.
एनडीए नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'जंगल राज का युवराज' की बात करते हुए RJD के खिलाफ कानून और लोकतंत्र की बहाली का संदेश दिया. यह रणनीति स्पष्ट रूप से सफल रही और बिहार में दो-तिहाई बहुमत के रूप में परिणाम सामने आया. जनता ने स्पष्ट संदेश दिया कि डर और असुरक्षा की राजनीति अब स्वीकार्य नहीं है.