नुसरत ने छोड़ दी बिहार सरकार की नौकरी, हिजाब खींचने वाली घटना से आहत डॉक्टर ने लास्ट डेट पर भी नहीं किया ज्वॉइन
हिजाब विवाद के कारण सुर्खियों में आई डॉ. नुसरत परवीन ने सरकारी डॉक्टर के रूप में अपना योगदान नहीं दिया. उन्हें पटना के सिविल सर्जन कार्यालय में 31 दिसंबर तक आयुष चिकित्सक के तौर पर जॉइन करना था.
पटना: हिजाब विवाद के कारण सुर्खियों में आई डॉ. नुसरत परवीन ने सरकारी डॉक्टर के रूप में अपना योगदान नहीं दिया. उन्हें पटना के सिविल सर्जन कार्यालय में 31 दिसंबर तक आयुष चिकित्सक के तौर पर जॉइन करना था. हालांकि, नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान उनका हिजाब हटाना चर्चा का कारण बन गया था.
CM नीतीश ने हटाया था हिजाब
उस समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉ. नुसरत का हिजाब हटाया था, जिसे लेकर देश की सियासत गर्मा गई गई थी. नुसरत के कॉलेज के प्रिंसिपल ने पहले कहा था कि वह जॉइन करेंगी, लेकिन उनका अनुमान गलत साबित हुआ.
सिविल सर्जन ने क्या कहा?
सिविल सर्जन पटना डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि डॉ. नुसरत ने अब तक अपना योगदान नहीं दिया है. न ही उन्होंने और न ही उनके परिवार वालों ने स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया. स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें योगदान के लिए अतिरिक्त 10 दिनों का समय भी दिया था, लेकिन डॉ. नुसरत उस समय तक कार्यालय में नहीं पहुंचीं. अब उनकी योगदान की तारीख समाप्त हो चुकी है.
63 चिकित्सकों ने किया ज्वाइन
सूत्रों के अनुसार, बुधवार को 63 अन्य चिकित्सकों ने सिविल सर्जन कार्यालय में योगदान दिया. इसमें राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 53 चिकित्सक शामिल थे, जबकि मुख्यधारा में 10 चिकित्सकों ने जॉइन किया. डॉ. नुसरत को पटना सदर प्रखंड में जॉइन करना था.
CM नीतीश ने बांटे थे नियुक्ति पत्र
15 दिसंबर को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटे थे. उसी कार्यक्रम का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सीएम नीतीश डॉ. नुसरत का हिजाब हटाते हुए दिख रहे थे. इसके बाद राजनीतिक बवाल मचा और राजद सहित कई विपक्षी पार्टियों ने बिहार सरकार पर निशाना साधा.
'नीतीश कुमार डॉ. नुसरत के लिए पिता समान हैं'
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने डॉ. नुसरत को अपने राज्य में मासिक तीन लाख रुपये की नौकरी की पेशकश भी की. कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की बहू बिल्किस सड़क पर उतर आईं और उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की. वहीं, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार डॉ. नुसरत के लिए पिता समान हैं और मामले को बढ़ावा नहीं देना चाहिए.
प्रिंसिपल और दोस्त ने किया दावा
इस बीच नुसरत के कॉलेज से भी खबर आई थी कि वह जॉइन करेंगी. कॉलेज प्रिंसिपल और उनकी एक दोस्त ने यह पुष्टि की थी. स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें अंतिम मोहलत बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी थी. बावजूद इसके अंतिम दिन तक डॉ. नुसरत कार्यालय में नहीं पहुंचीं और अपना योगदान नहीं दे सकीं.