Bihar Elections 2025: पीके, चिराग पासवान और ओवैसी की खिचड़ी बिहार में बदल देगी समीकरण, जानें क्यों खास होने वाला है बिहार विधानसभा चुनाव 2025
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होगा और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे. यह चुनाव मतदाता सूची के 'शुद्धिकरण' के बाद हो रहा है. चिराग पासवान एनडीए के साथ लौट आए हैं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पहली बार चुनाव लड़ रही है और ओवैसी की एआईएमआईएम सीमांचल में प्रभाव डाल सकती है. इन तीनों के कारण चुनावी समीकरण इस बार पूरी तरह बदल सकते हैं.
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 इस बार नए राजनीतिक समीकरणों और चुनौतियों के चलते बेहद खास माना जा रहा है. यह चुनाव दो चरणों में होगा. 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना होगी. जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एनडीए सरकार और राजद व कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों द्वारा पेश की गई चुनौती का फैसला होगा. चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहला चुनाव होगा जो मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद हो रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसे 'शुद्धिकरण' करार दिया है.
सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की वापसी से हुई है. वे इस बार भाजपा और जदयू के साथ एनडीए में चुनाव लड़ रहे हैं. 2020 में चिराग पासवान ने अलग चुनाव लड़कर केवल एक सीट जीती थी, लेकिन उनके कदम से जदयू को बड़ा नुकसान हुआ और वह तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी. 2024 लोकसभा चुनाव में चिराग ने एनडीए के साथ मिलकर पांचों सीटें जीती थीं. अब वे राज्य की राजनीति में अपनी पार्टी की हिस्सेदारी और भूमिका बढ़ाने की कोशिश में हैं.
प्रशांत किशोर ने की घोषणा
दूसरी ओर, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पहली बार अपनी पार्टी 'जन सुराज' के साथ मैदान में उतर रहे हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि पार्टी की उम्मीदवार सूची 9 अक्टूबर को जारी की जाएगी और वे खुद भी चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने अभी अपना निर्वाचन क्षेत्र नहीं बताया है. प्रशांत किशोर का दावा है कि उनकी पार्टी उन 28 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन हासिल करेगी, जो न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन को वोट देते हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल क्षेत्र से की शुरुआत
इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी एक अहम फैक्टर मानी जा रही है. ओवैसी ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत सीमांचल क्षेत्र से की है. 2020 में एआईएमआईएम ने यहां से 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 5 सीटें जीती थीं. हालांकि, बाद में इनमें से चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे. इस बार भी पार्टी सीमांचल की राजनीति में प्रभाव डाल सकती है और चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है. बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में इस बार 121 सीटों पर 6 नवंबर को और बाकी 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा. फिलहाल, एनडीए के पास 138 और विपक्षी गठबंधन के पास 103 विधायक हैं.