सिक्सर किंग की कहानी, युवराज सिंह के वो रिकॉर्ड जो क्रिकेट के इतिहास में ज्वाला बनकर दर्ज

भारत के दिग्गज क्रिकेटर युवराज सिंह अपने 44वें जन्मदिन से पहले एक बार फिर सुर्खियों में हैं. युवी के नाम कई ऐसे रिकॉर्ड दर्ज हैं जो आज भी किसी के लिए सपने जैसे हैं.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में युवराज सिंह का नाम सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं बल्कि जुनून, जज्बा और निडर खेल का प्रतीक माना जाता है. अपने विस्फोटक अंदाज से उन्होंने कई बार टीम इंडिया को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला और बड़े टूर्नामेंटों में मैच पलटने का काम किया.

12 दिसंबर को अपना जन्मदिन मनाने वाले युवराज ने करियर में ऐसे कई कीर्तिमान रचे, जिन्हें क्रिकेट जगत आज भी सलाम करता है. छह छक्कों से लेकर तेजतर्रार पारियों तक, युवराज ने खेल के हर रूप में अपनी धाक जमाई.

धमाकेदार छह छक्कों का इतिहास

साल 2007 के टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई उनकी अविश्वसनीय पारी आज भी क्रिकेट की सबसे चर्चित कहानियों में से एक है. स्टुअर्ट ब्रॉड की छह गेंदों पर छह गगनचुंबी छक्के जड़कर युवराज ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे अब तक कोई नहीं तोड़ पाया. इस उपलब्धि ने उन्हें टी20 इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया.

सबसे तेज 12 गेंदों की फिफ्टी

उसी मैच में युवराज ने 12 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा करते हुए क्रिकेट की सबसे तेज फिफ्टी का विश्व रिकॉर्ड रचा. 15 साल से ज्यादा बीत जाने के बावजूद यह कारनामा आज भी जस का तस कायम है. उनकी इस पारी ने साबित किया कि विस्फोटक बल्लेबाजी का मतलब ही युवराज होता है.

नंबर 5 पर शतक लगाने का कमाल

अक्सर मिडिल ऑर्डर में खेलने वाले युवराज ने नंबर 5 पर बल्लेबाजी करते हुए वनडे क्रिकेट में 7 शतक जड़े. इतने नीचे खेलते हुए इतने शतक जड़ना बेहद मुश्किल माना जाता है, लेकिन युवराज ने इसे भी सहजता से कर दिखाया. उनका वनडे करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 150 रन रहा.

एक सीजन में दो हैट्रिक का अनोखा रिकॉर्ड

आईपीएल में पंजाब की ओर से खेलते हुए युवराज ने एक ही सीजन में दो हैट्रिक झटकीं. यह उपलब्धि आज तक कोई दूसरा खिलाड़ी हासिल नहीं कर पाया. ऑलराउंडर के रूप में युवराज की यह क्षमता उन्हें और भी खास बनाती है.

नॉकआउट मैचों के असली हीरो

युवराज बड़े मैचों के खिलाड़ी कहलाते हैं और उनके नॉकआउट प्रदर्शन इसकी सबसे बड़ी वजह हैं. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप-तीनों के नॉकआउट मुकाबलों में वे प्लेयर ऑफ द मैच बने. बड़े मौकों पर टीम को जीत दिलाने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का असली गेम चेंजर बना दिया.