भारत का वर्ल्ड कप जीतने का सपना रह जाएगा अधूरा! ट्रॉफी अपने नाम करने के लिए बदलना होगा इतिहास
विमेंस वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में टीम इंडिया साउथ अफ्रीका का सामना करने वाली है. ऐसे में अगर भारत को वर्ल्ड कप जीतना है, तो उन्हें लंबे समय से चले आ रहे इतिहास को बदलना होगा.
नई दिल्ली: 2 नवंबर 2025 को मुंबई के डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी में महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल मैच भारत और साउथ अफ्रीका के बीच होगा. यह मैच सिर्फ दो टीमों का मुकाबला नहीं बल्कि इतिहास बदलने की जंग है. हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली भारतीय टीम घरेलू मैदान पर खिताब जीतकर लंबा सूखा खत्म करना चाहेगी.
वहीं लौरा वोल्वार्ड्ट की अगुवाई वाली साउथ अफ्रीकी टीम पहली बार फाइनल में पहुंचकर नया इतिहास रचना चाहती है. लेकिन भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती साउथ अफ्रीका की मजबूत टीम के साथ-साथ 20 साल पुराना रिकॉर्ड है, जिसे तोड़ना आसान नहीं होगा.
वर्ल्ड क्रिकेट को मिलेगा नया चैंपियन
इस बार महिला वनडे वर्ल्ड कप में कोई पुराना चैंपियन नहीं जीतेगा. भारत और साउथ अफ्रीका दोनों ही पहली बार ट्रॉफी जीतने की दौड़ में हैं. भारतीय टीम के लिए यह घरेलू मैदान पर सुनहरा अवसर है. फैंस की उम्मीदें आसमान छू रही हैं.
अगर भारत जीत गया, तो देश में जश्न का माहौल होगा. लेकिन साउथ अफ्रीका भी कमजोर नहीं है. उसने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है और फाइनल तक पहुंचकर साबित कर दिया कि वह किसी से डरती नहीं.
20 साल पुराना रिकॉर्ड भारत की राह में रोड़ा
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच महिला वनडे वर्ल्ड कप में अब तक कुल छह मैच खेले गए हैं. दोनों टीमों ने तीन-तीन मैच जीते हैं. लेकिन परेशानी की बात यह है कि भारत ने साउथ अफ्रीका को आखिरी बार 2005 में हराया था. उसके बाद से लगातार तीन मैचों में भारत को हार मिली है.
इनमें इस टूर्नामेंट का लीग स्टेज मैच भी शामिल है, जहां साउथ अफ्रीका ने भारत को हर क्षेत्र में पीछे छोड़ते हुए आसानी से जीत हासिल की थी. अब फाइनल में वही टीम फिर आमने-सामने है. अगर भारत चैंपियन बनना चाहता है, तो उसे इस 20 साल पुरानी हार के सिलसिले को तोड़ना ही होगा.
इतिहास बदलने की जिम्मेदारी
भारत का वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा करने के लिए सिर्फ स्किल नहीं, मानसिक मजबूती भी चाहिए. साउथ अफ्रीका के खिलाफ पुराना रिकॉर्ड तोड़ना आसान नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं. टीम को लीग मैच की हार से सबक लेना होगा.
बैटिंग में स्थिरता, बॉलिंग में विकेट लेने की क्षमता और फील्डिंग में चुस्ती दिखानी होगी. अगर भारतीय खिलाड़ी दबाव को अवसर में बदल सकीं, तो ट्रॉफी भारत की झोली में आ सकती है.