पर्थ में शर्मनाक हार के बाद बैजबॉल पर जमकर बरसे पूर्व इंग्लिश ऑलराउंडर, स्टोक्स एंड कंपनी घर लौटने की दी सलाह

इंग्लैंड को एशेज के पहले मैच में पर्थ में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद अब पूर्व इंग्लिश दिग्गज ने बैजबॉल को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

@englandcricket (X)
Praveen Kumar Mishra

नई दिल्ली: इंग्लैंड के दिग्गज क्रिकेटर इयान बॉथम ने पर्थ में पहले एशेज टेस्ट में मिली करारी हार के बाद टीम के सीनियर खिलाड़ियों और बैजबॉल रणनीति पर तीखा हमला बोला है. 

बॉथम का साफ-साफ कहा कि अगर बेन स्टोक्स और ब्रैंडन मैकुलम अपनी इस आक्रामक बल्लेबाजी की जिद नहीं छोड़ते, तो अभी के अभी घर लौट जाओ वरना सीरीज 5-0 से हार जाओगे.

बॉथम का गुस्सा सातवें आसमान पर

70 साल के इयान बॉथम ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "पर्थ में जो हुआ उसे देखकर शर्म आती है. इससे बुरा प्रदर्शन और क्या हो सकता है? बार-बार यही सुन-सुनकर तंग आ गया हूँ कि हम इसी तरह खेलते हैं. अगर यही तरीका है, तो पैकिंग कर लो और घर चले जाओ. 

बॉथम ने आगे कहा, "ऑस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट हारने के बाद इंग्लैंड ने 1950 के बाद कभी एशेज सीरीज नहीं जीती. फिर भी ये लोग अपनी गलती मानने को तैयार नहीं. इंग्लैंड का स्वेटर पहनने वालों से मुझे थोड़ा गर्व महसूस होना चाहिए लेकिन अभी तो बस निराशा ही हाथ लग रही है."

बैजबॉल पर सवाल 

ब्रैंडन मैकुलम और बेन स्टोक्स पिछले ढाई साल से बैजबॉल नाम की इस हाई-रिस्क, हाई-रिवॉर्ड रणनीति पर चल रहे हैं. कई बार यह कामयाब भी हुई, जैसे 2022 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 0-1 से पीछे होने के बाद सीरीज जीतना या 2023 की घरेलू एशेज को 2-0 से पिछड़ने के बाद ड्रॉ कराना. 

हालांकि, ऑस्ट्रेलिया की तेज पिचों पर यह तरीका बुरी तरह फेल होता दिख रहा है. बॉथम का मानना है कि अब जिद छोड़कर धैर्य से बल्लेबाजी करनी होगी वरना बाकी चारों टेस्ट भी हाथ से निकल जाएंगे.

ब्रिस्बेन में कांटे की टक्कर की उम्मीद

दूसरा टेस्ट ब्रिस्बेन में डे-नाइट का होगा यानी गुलाबी गेंद से खेला जाएगा. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस पूरी तरह फिट होकर वापसी कर रहे हैं. गाबा में गुलाबी गेंद से उनके नाम 43 विकेट हैं और औसत सिर्फ 17.34 का. 

नाथन लायन भी ग्लेन मैकग्रा के 563 विकेट के रिकॉर्ड से महज एक विकेट दूर हैं लेकिन तेज पिचों पर उनकी भूमिका सीमित रह सकती है. इंग्लैंड की आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से टेस्ट पांचवें दिन तक शायद ही पहुंचे, जिससे स्पिनरों को कम मौका मिलेगा.