चंडीगढ़: कभी भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज विश्व कप विजेता युवराज सिंह के पिता, पंजाबी सिनेमा के दमदार अभिनेता और सैकड़ों युवा क्रिकेटरों के गुरु रहे योगराज सिंह आज 62 साल की उम्र में गहरे अकेलेपन के दौर से गुजर रहे हैं. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने दिल की वो बातें कही हैं, जिन्हें सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया.
योगराज ने बताया, मैं अपने घर में अकेला रहता हूं. शाम ढलते ही चारों तरफ सन्नाटा छा जाता है. घर में कोई नहीं होता. खाना भी अनजान लोग भेज देते हैं कभी कोई, कभी कोई और. मैं किसी को तंग नहीं करता. भूख लगे तो कोई न कोई खाना पहुंचा ही देता है. पहले नौकर-बावर्ची रखे थे, वे भी आए, अपनी सेवा की और चले गए. अब सिर्फ मैं और मेरा अकेलापन.
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं, अपने बच्चों से, बहू से, पोते-पोतियों से. लेकिन मैं किसी से कुछ नहीं मांगता. मैंने जीवन में सब कुछ देख लिया, अनुभव कर लिया. अब कुछ बाकी नहीं रहा. मैं मरने के लिए पूरी तरह तैयार हूं. मेरा सफर पूरा हो चुका है. जब भगवान चाहेंगे, मुझे अपने पास बुला लेंगे. मैं रोज प्रार्थना करता हूं और भगवान मुझे देते रहते हैं. मैं बहुत शुक्रगुजार हूं.”
योगराज के अनुसार, उनके जीवन का सबसे बड़ा झटका तब लगा जब शबनम और युवराज उनका घर छोड़कर चले गए. उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह असहाय महसूस कर रहे थे और समझ नहीं पा रहे थे कि जिन्हें वे इतना प्यार करते थे, वे क्यों उन्हें छोड़कर चले गए. जब हालात ऐसे आ गए कि यूवी और उसकी मां मुझे छोड़कर चले गए, वह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सदमा था.
योगराज ने कहा कि उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, मगर अब अक्सर यह सोचते हैं कि बुढ़ापे में उनके साथ कोई क्यों नहीं है. यह भगवान का खेल था, मेरे लिए यही लिखा था. बहुत गुस्सा था, बदले की भावना भी थी. फिर क्रिकेट आया, लेकिन बीच में रुक गया. यूवी को क्रिकेट खिलाया, वह खेला और चला गया. फिर मैं दोबारा शादी करके दो बच्चे हुए वे भी अमेरिका चले गए. कुछ फिल्में आईं, समय बीत गया और मैं वहीं आ पहुंचा जहां से शुरू किया था. मैं खुद से पूछ रहा था कि मैंने यह सब किस लिए किया? क्या तुम्हारे साथ कोई है आज?