Asia Cup 2023: एशिया कप जिसे क्रिकेट का अर्धकुंभ भी कहा जाता है उसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. पाकिस्तान और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट को लेकर सभी टीमों ने अपने खिलाड़ियों का ऐलान कर दिया है जो इसमें भाग लेने वाले हैं. भारत ने भी अपनी 17 सदस्यीय टीम का ऐलान किया है जिसमें ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन समेत कई बड़े नामों को जगह नहीं दी है.
क्यों अहम साबित हो सकता था अश्विन का चयन
रविचंद्रन अश्विन का न होना कई कारणों से चौंकाने वाला है और ये भी दर्शाता है कि आने वाले समय में शायद इस खिलाड़ी का वनडे करियर समाप्त हो चुका है. क्रिकेट के दो बड़े टूर्नामेंट एशिया कप और वनडे विश्वकप एशियाई सरजमीं पर खेले जाने हैं जहां स्पिनर्स का बोलबाला देखने को मिलता है. आंकड़े बताते हैं कि इन मैदानों पर वो टीम हमेशा ही हावी नजर आई जिसके पास स्पिन गेंदबाज अच्छे रहे हैं.
वहीं रविचंद्रन अश्विन के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो वनडे प्रारूप में एशियाई पिचों पर 100 से ज्यादा विकेट हासिल कर चुके हैं, इतना ही नहीं पिछले कुछ समय में भारतीय पिचों पर उन्हें खेल पाना किसी भा विपक्षी टीम के बल्लेबाज के लिए आसान नहीं रहा है. बायें हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ अश्विन का रिकॉर्ड किसी से छिपा नहीं है और वो कितने खतरनाक गेंदबाज बन जाते हैं ये कहने की बात नहीं है लेकिन इसके बावजूद अगर उन्हें मौका नहीं मिला तो इसके पीछे क्या कारण रहा है.
रोहित ने बताया क्यों नहीं किया टीम में शामिल
जब इसको लेकर भारतीय कप्तान रोहित शर्मा से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,'हमने चयन के दौरान काफी समय तक सोच-विचार किया कि हमें ऑफ या लेग में से किस स्पिनर के साथ जाना चाहिए.काफी सोच-विचार के बाद हम इस फैसले पर पहुंचे कि हमें 8-9 नंबर पर ऐसे प्लेयर्स चाहिए जो गेंदबाजी के अलावा जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी से भी कुछ योगदान दे सकें. अक्षर पटेल के साथ हमें एक बायें हाथ के बल्लेबाज का अतिरिक्त विकल्प मिलता है जिसके चलते उन्हें प्राथमिकता दी गई है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि विश्वकप के लिए अश्विन, चहल या फिर सुंदर के लिए दरवाजे बंद हो गये हैं.'
क्या बंद हो गये हैं विश्वकप के दरवाजे
भारतीय कप्तान ने भले ही यह कह दिया है कि अश्विन के लिए अभी भी विश्वकप के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं लेकिन जिस सोच के साथ उन्होंने एशिया कप की टीम का चयन किया है क्या वो विश्वकप के दौरान बदल जाएगी, ये बड़ा सवाल है. अगर ये सोच नहीं बदलती है तो जाहिर तौर पर ये कहना गलत नहीं होगा कि इन खिलाड़ियों के लिए विश्वकप के रास्ते बंद हो गये हैं.
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