भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में आकाश दीप भारत के हीरो साबित हुए. शुभमन गिल की कप्तानी वाली टीम ने यह मैच 336 रनों से जीता. बिहार के रहने वाले 28 वर्षीय तेज गेंदबाज ने बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी खेली है. उन्होंने अब तक आठ टेस्ट मैच खेले हैं और 25 विकेट चटकाए हैं. एजबेस्टन टेस्ट में उन्होंने 10 विकेट चटकाए. दूसरे टेस्ट में अपने शानदार प्रदर्शन के साथ, आकाश दीप लॉर्ड्स में होने वाले तीसरे टेस्ट मैच में भी अपनी जगह पक्की कर चुके हैं. हालांकि आकाश दीप के लिए ये सफऱ आसान नहीं रहा. यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा.
बंगाल के पूर्व कोच अरुण लाल ने आकाश दीप के संघर्ष के दिनों को याद किया. लाल ने स्पोर्ट्स नाउ से कहा कि वह सीएबी (बंगाल क्रिकेट संघ) के इस छात्रावास में रहते थे, जो एक नरक था. अब, मुझे यकीन है कि यह बेहतर है, लेकिन उन्होंने कभी नहीं कहा कि आप जानते हैं, सर, आपको भोजन वहां रखना चाहिए या भोजन कैंटीन में नहीं है और मुझे यह समस्या हो रही है. मैंने तीन साल, चार साल में एक बार भी कोई शिकायत नहीं सुनी.
अरुण लाल ने कहा कि जब मैं छात्रावास में गया तो मैं दंग रह गया. आप जानते हैं, यह असहनीय था. यह एक खूनी नरक था. मुझे लगा कि लोग वहां बीमारी से मर जाएंगे.
अरुण लाल बताई आकाश दीप की संघर्ष की कहानी
अरुण लाल ने बताया कि आकाश दीप की प्रतिभा ने उन्हें शुरू से ही प्रभावित किया. अरुण लाल ने कहा, मैं बंगाल टीम का हिस्सा था और आकाश संभावित खिलाड़ियों में से एक था. जब मैंने उसे देखा तो मुझे लगा कि वह वाकई सोने जैसा है. इसमें कोई संदेह नहीं है. उसमें गति थी, उसमें सहनशक्ति थी, उसमें ताकत थी और सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैंने इस युवा में पाई वह यह थी कि उसने कभी किसी चीज के बारे में शिकायत नहीं की. आकाश देव हमेशा शारीरिक रूप से मजबूत थे.
वह हमेशा से ही एक मजबूत लड़का था...
उन्होंने कहा, वह हमेशा से ही एक मजबूत लड़का था बंगाल टीम में अपने सभी साथियों से कहीं ज्यादा मजबूत और वह अब भी है. उसकी कार्यशैली अविश्वसनीय है. वह मुझे अपने गांव में पहाड़ी पर दौड़ते हुए खुद के वीडियो भेजता था. उसके गांव के पास एक पहाड़ है. वह प्रशिक्षण के लिए उस पर ऊपर-नीचे दौड़ता था, और यह इलाका जंगल से घिरा हुआ था. इसलिए, जब वह अपने गांव में होता था, तो प्रशिक्षण के लिए वह ऐसी चीजें करता था.