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India Daily

नशा करने के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंचे भारतीय खिलाड़ी, नई रिपोर्ट से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Doping Case: एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें भारत के एथलीट डोपिंग के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं. यही नहीं अब वे जल्द ही रूस को पीछे छोड़ पहले नंबर पर पहुंच सकते हैं. ऐसे में भारत के लिए यह एक चिंताजनक विषय है.

Stadium
Courtesy: Social Media

Doping Case: भारत में खेलों की दुनिया में एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है. वर्ल्ड डोपिंग एंटी एजेंसी (WADA) और नेशनल डोपिंग एंटी एजेंसी (NADA) की ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत नशा करने (डोपिंग) के मामलों में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. 

यह खबर भारतीय खेल जगत के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रही है क्योंकि हमारे खिलाड़ी बैन हो चुकी दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. खेल में इन दवाओं पर बैन इसलिए लगाया गया क्योंकि इन्हें ड्रग की श्रेणी में माना जाता है और ऐसे में ये भारत के लिए चिंताजनक बना हुआ है.

2024 में डोपिंग के रिकॉर्ड मामले

युवा मामले और खेल मंत्रालय ने हाल ही में राज्यसभा में बताया कि 2024 में NADA द्वारा किए गए 7,466 डोपिंग टेस्ट में से 260 भारतीय खिलाड़ी बैन दवाओं के उपयोग में पकड़े गए. यह संख्या भारत में अब तक की सबसे ज्यादा है, जो 2019 के 224 मामलों के रिकॉर्ड को तोड़ती है. 2023 में भी भारत में 223 खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में फेल हुए थे, जिसके बाद WADA ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे खराब देश बताया था.

किन खेलों में सबसे ज्यादा मामले?

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में सबसे ज्यादा डोपिंग मामले एथलेटिक्स में सामने आए, जहां 76 खिलाड़ी पकड़े गए. इसके बाद वेटलिफ्टिंग में 43, कुश्ती में 29 और मुक्केबाजी में 17 मामले दर्ज हुए. इन आंकड़ों से साफ है कि कुश्ती और वेटलिफ्टिंग के मामले में डोपिंग का चलन सबसे ज्यादा है. नाबालिग 

खिलाड़ियों में बढ़ता डोपिंग का खतरा

WADA की एक अन्य रिपोर्ट ने और भी गंभीर स्थिति का खुलासा किया है. पिछले 10 सालों के वैश्विक अध्ययन में भारत नाबालिग खिलाड़ियों (18 साल से कम उम्र) में डोपिंग के मामले में दूसरे स्थान पर है. रूस इस सूची में पहले स्थान पर है, जबकि भारत और चीन इसके बाद आते हैं. 

WADA के अनुसार, नाबालिग खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले बैन पदार्थों में फ्यूरोसेमाइड, नैनड्रोलोन और क्लेनब्यूटेरोल शामिल हैं. 2012 से अब तक 1,416 नाबालिग खिलाड़ियों के खिलाफ 1,518 डोपिंग मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें डाययूरेटिक्स, स्टिमुलेंट्स और एनाबॉलिक स्टेरॉयड्स का उपयोग सबसे आम है.