महसा अमीनी, वो महिला जिसने ईरान में महिलाओं की हिजाब से आजादी को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी.
संयुक्त राष्ट्र के एक फैक्ट फाइंडिंग मिशन ने अपनी जांच में पाया कि दो साल पहले हुई महसा अमीनी की मौत गैरकानूनी थी और पुलिस की शारीरिक हिंसा के कारण उनकी मौत हुई थी.
मिशन ने सोमवार को यह भी कहा कि ईरान में महिलाएं अभी भी व्यवस्थित भेदभाव का शिकार हैं.
बता दें कि 22 वर्षीय कुर्द ईरानी महसा अमीनी को इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने को लेकर हिरासत में लिया गया था और सितंबर 2022 में पुलिस कस्टडी में ही उनकी मौत हो गई थी.
अमीनी की मौत के बाद पूरे ईरान में महीनों तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शनों ने इस इस्लामिक देश के मौलवी नेताओं के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी.
जिनेवा में मानवाधिकार परिषद की बैठक में इस मिशन की प्रमुख सारा हुसैन ने कहा कि ईरान में AI और तकनीक की मदद से महिलाओं पर नजर रखी जा रही है.
उन्होंने कहा कि वो हिजाब के नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं इसके लिए सरकार हर प्रकार की मशीनरी का प्रयोग कर रही है.
उधर ईरान ने मिशन पर इस रिपोर्ट को बनाने में स्वतंत्रता और निष्पक्षता की भारी कमी का आरोप लगाया है.