World Mental Health Day 2025: मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल हमारी सोच और भावनाओं को प्रभावित करता है बल्कि सीधे तौर पर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है. इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. बदलती जीवनशैली, लगातार बढ़ते तनाव, और मानसिक विकारों के मामलों में हो रही वृद्धि ने इस दिन की महत्ता और बढ़ा दी है. यह दिवस हमें याद दिलाता है कि मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत चिंता नहीं, बल्कि समाज, कार्यस्थल और वैश्विक स्तर पर भी अहम है.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत 10 अक्टूबर 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ द्वारा की गई थी. इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना और लोगों को अपने संघर्ष साझा करने व आवश्यक सहयोग लेने के लिए प्रोत्साहित करना था. तब से अब तक यह दिवस हर साल अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है, ताकि मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हो और एक संवेदनशील, सहायक और जागरूक समाज का निर्माण किया जा सके.
इस वर्ष का विषय है 'सेवाओं तक पहुंच' आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य. संकट और आपदा के समय मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है. इतिहास गवाह है कि चाहे 1984 की भोपाल गैस त्रासदी हो, 1993 का लातूर भूकंप, 2004 की सुनामी या हाल की कोविड महामारी-इन सभी ने यह स्पष्ट किया कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं आपदा प्रबंधन का अनिवार्य हिस्सा होनी चाहिए. आघात का प्रभाव सबसे पहले मन और भावनाओं पर होता है, और इसी स्तर पर सहायता की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है.
संकट में पहुंच का मतलब केवल डॉक्टरों या हेल्पलाइन सेवाओं की तैनाती नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है सम्मान बहाल करना, लोगों को जोड़ना और जीवन को नया अर्थ देना. यह जरूरी है कि हर पुनर्वास योजना में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता मिले. प्रभावित लोगों को न केवल ठीक होने बल्कि अपने जीवन को फिर से संवारने और नेतृत्व करने की क्षमता दी जानी चाहिए.
यह दिवस इस बात की याद दिलाता है कि मानसिक कल्याण उतना ही आवश्यक है जितना शारीरिक स्वास्थ्य. यह दिन हमें कलंक को तोड़ने, समर्थन लेने को सामान्य बनाने और शुरुआती हस्तक्षेप को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है. आधुनिक दुनिया जहां लगातार प्रदर्शन और दबाव की मांग करती है, वहां मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कमजोरी नहीं बल्कि मजबूती का प्रतीक है. चाहे वह समावेशी नीतियां हों, सहकर्मी सहयोग हो, या बिना किसी निर्णय के सुनना-हर व्यक्ति का योगदान करुणा और मानसिक कल्याण की संस्कृति बनाने में अहम है.
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