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भारत में मुहूर्त डिलीवरी का बढ़ता क्रेज, शुभ घड़ी देखकर हिंदुस्तानी बच्चों को दे रहे जन्म, जानें क्यों बढ़ रहा इसका चलन

Muhurat Deliveries in India: मुहूर्त डिलीवरी का क्रेज बढ़ता जा रहा है, लेकिन यह हमेशा सुरक्षित नहीं होता. जब तक डॉक्टर यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि बच्चे की स्थिति और समय चिकित्सा दृष्टिकोण से सुरक्षित हैं, तब तक इस पर विचार करना उचित नहीं है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Why growing craze for Muhurat Deliveries in India ram mandir inauguration 22 January
Courtesy: Social Media

Muhurat Deliveries in India:  मुहूर्त डिलीवरी एक ऐसा प्रचलन है जिसमें माता-पिता अपने बच्चे के जन्म को किसी विशेष दिन और समय पर निर्धारित करने के लिए ज्योतिषी या पंडित से परामर्श करते हैं. यह आमतौर पर तब होता है जब माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे का जन्म किसी "शुभ घड़ी" में हो, ताकि उनके बच्चे का जीवन सुखी और समृद्ध हो. इस प्रक्रिया में, डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे की गर्भावस्था पूर्ण हो और जन्म के समय कोई चिकित्सा आपातकालीन स्थिति न हो.

मुहूर्त डिलीवरी का बढ़ता क्रेज

हाल ही में, भारत में मुहूर्त डिलीवरी की मांग में काफी वृद्धि देखी जा रही है. जनवरी 2024 में, जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ, तो कई गर्भवती महिलाएं अस्पतालों में इस विशेष दिन, यानी 22 जनवरी को अपने बच्चों को जन्म देने के लिए पहुंची थीं. उनका मानना था कि उनका बच्चा राम मंदिर के उद्घाटन के दिन जन्म लेगा, तो यह उनके बच्चे के जीवन के लिए शुभ रहेगा.

यह पहली बार नहीं था जब इस प्रकार के अनुरोध किए गए थे. अब, भारत में कई अस्पताल और डॉक्टर इस प्रक्रिया को स्वीकार कर रहे हैं, खासकर जब सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) की मांग बढ़ी है.

सी-सेक्शन और मुहूर्त डिलीवरी

भारत में सी-सेक्शन डिलीवरी की दर लगातार बढ़ रही है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के आंकड़े बताते हैं कि 2015-2016 में 17.2% सी-सेक्शन डिलीवरी थीं, जो 2019-2021 में बढ़कर 21.5% हो गईं. खासकर निजी अस्पतालों में, जहां लगभग आधी डिलीवरी सी-सेक्शन के माध्यम से होती हैं, वहां मुहूर्त डिलीवरी की मांग और भी ज्यादा देखने को मिल रही है.

मुहूर्त डिलीवरी के जोखिम

हालांकि, मुहूर्त डिलीवरी के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं. अगर माता-पिता किसी ऐसी तारीख और समय पर डिलीवरी चाहते हैं जब बच्चा पूर्णतः विकसित न हुआ हो (37 सप्ताह से कम), तो इससे नवजात शिशु में जटिलताएं हो सकती हैं, और उसे NICU (नवजात शिशु देखभाल इकाई) में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है. इसके अलावा, अगर गर्भवती महिला की प्राकृतिक प्रसव प्रक्रिया शुरू हो चुकी हो, लेकिन माता-पिता उस समय डिलीवरी नहीं चाहते हैं, तो इससे माँ और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

डॉक्टरों का कहना है कि अगर डिलीवरी समय पर और सही तरीके से की जाए, तो इसके कोई प्रमुख स्वास्थ्य जोखिम नहीं होते. डॉक्टरों का मुख्य उद्देश्य माँ और बच्चे की भलाई है, और वे हमेशा यही सलाह देते हैं कि यदि समय medically उपयुक्त न हो, तो डिलीवरी को टाला जाए.

मुहूर्त डिलीवरी से जुड़ी सलाह

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे का भविष्य उसकी जन्म के समय से ज्यादा स्वास्थ्य और उचित चिकित्सा देखभाल पर निर्भर करता है. डॉ. मंजुला अनागनी, जो हैदराबाद के केयर अस्पताल में क्लिनिकल डायरेक्टर हैं, का कहना है कि "स्वस्थ शरीर और सही चिकित्सा देखभाल बच्चे के भविष्य में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बजाय इसके कि उसका जन्म किस समय हुआ."