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Makar Sankranti 2025: सावधान! जानलेवा न बन जाए आपका पतंग उड़ाना, पतंगबाजी करते समय इन बातों को रखें खास ध्यान

Kite Festival Safety Tips: मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को पारंपरिक रूप से मनाई जाती है. इस दिन लोग फसल कटाई, पतंग उड़ाने और सूर्य देव की पूजा जैसी प्रथाएं निभाते हैं. साथ ही, तिल, गुड़ और मेवों से बनी स्वादिष्ट मिठाइयों का आनंद लेते हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Makar Sankranti 2025
Courtesy: Pinterest

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 14 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा. यह भारत के सबसे शुभ और खास त्योहारों में से एक है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसे फसल कटाई, पतंगबाजी, सूर्य देव की पूजा और तिल-गुड़ से बने स्वादिष्ट पकवानों के साथ मनाया जाता है.

पतंगबाजी इस त्योहार का सबसे मजेदार हिस्सा है, खासकर बच्चों के लिए. लेकिन त्योहार मनाते समय सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ताकि किसी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके. पतंग के मांझे से झटके से शरीर के अंग काट सकते हैं. वहीं, पशु और पक्षियों को भी चोट लग सकती है. 

पतंगबाजी के दौरान ध्यान देने वाली बातें  

पतंग खरीदते समय ध्यान रखें की सूती डोर हो. हमेशा इको-फ्रेंडली डोर अपनाएं. ऐसे में बिना कांच, धातु या सिंथेटिक कोटिंग से बनी मांझे का यूज न करें. खुले मैदान में पतंग उड़ाएं. पतंग उड़ाते समय बिजली के तार, साइन बोर्ड और एंटीना के पास पतंगबाजी न करें. वहीं, तेज हवा में पतंग उड़ाना खतरनाक हो सकता है. 

बाइक और साइकिल सवारों के लिए सुरक्षा टिप्स  

मकर संक्रांति के दिन अगर आप बाइक और साइकिल ये यात्रा करते हैं तो हेलमेट और फुल कपड़े पहनकर बाहर निकलें. हेलमेट पर मांझा गार्ड लगवाएं ताकि चोट से बचा जा सके. बाहर जाते समय स्कार्फ से अपनी गर्दन ढकें. जानकारी के लिए बता दें,  चाइनीज मांझा बहुत धारदार होता है और दुर्घटना का कारण बन सकता है. 

अगर आप चाइनीज मांझा का यूज करते हैं तो बहुत तेज या टूटी हुई डोर से दूर रहें. पतंग उड़ाते समय हाथ कटने से बचने के लिए  दस्ताने पहनें. सबसे अच्छा ऑप्शन है कि आप चाइनीज मांझे की जगह नॉन-टॉक्सिक डोर का इस्तेमाल करें. इस्तेमाल के बाद मांझे को सही तरीके से डिस्पोज करें.

चाइनीज मांझा कैसे बनती है?

चाइनीज मांझा नायलॉन और मेटल कोटिंग से बना होता है, जो इसे बेहद धारदार और खतरनाक बनाता. भारत में इस पर बैन है, लेकिन यह फिर भी इस्तेमाल किया जाता है. इससे जानवरों और इंसानों दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है.