नई दिल्ली: आज के समय में क्रॉनिक किडनी डिजीज एक साइलेंट किलर के रूप में उभर रही है. खासकर पुरुषों में यह बीमारी सिर्फ किडनी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पूरे शरीर पर असर डालती है. गलत खानपान, तनाव और अनियमित दिनचर्या इसकी बड़ी वजह मानी जाती है. कई मामलों में मरीज को तब तक पता नहीं चलता, जब तक स्थिति गंभीर नहीं हो जाती.
डॉक्टरों के अनुसार, पुरुषों में क्रॉनिक किडनी डिजीज के दौरान हार्ट और ब्रेन से जुड़ी जटिलताएं ज्यादा देखने को मिलती हैं. किडनी ठीक से काम न करे तो शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं, जो दिल की धमनियों और दिमागी कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं. यही कारण है कि इसे ‘दोहरी मार’ कहा जा रहा है.
क्रॉनिक किडनी डिजीज में हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. किडनी खराब होने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है, जिससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. पुरुषों में यह खतरा ज्यादा पाया गया है, क्योंकि वे अक्सर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं.
इस बीमारी का प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है. याददाश्त कमजोर होना, ध्यान की कमी और मानसिक थकान आम लक्षण हैं. शरीर में विषैले तत्व बढ़ने से न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिससे डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा भी बढ़ जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन और लंबे समय तक बैठकर काम करना पुरुषों में क्रॉनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ाता है. इसके अलावा समय पर हेल्थ चेकअप न कराना और मामूली लक्षणों को अनदेखा करना स्थिति को और गंभीर बना देता है.
कई पुरुष दर्द या कमजोरी को काम के दबाव से जोड़कर छोड़ देते हैं, जबकि ये संकेत किडनी से जुड़ी परेशानी के हो सकते हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि नियमित ब्लड टेस्ट, यूरिन जांच और ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग से इस बीमारी को शुरुआती स्तर पर पकड़ा जा सकता है. अगर समय रहते इलाज शुरू हो जाए, तो दिल और दिमाग पर पड़ने वाले गंभीर असर से बचाव संभव है. संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और तनाव से दूरी किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.