What Is Santhara: इंदौर में तीन साल की एक मासूम बच्ची वियाना जैन द्वारा संथारा लेने की खबर ने पूरे देश को चौंका दिया है. यह पहली बार है जब इतनी कम उम्र की किसी बच्ची ने संथारा लिया है. इस घटना को सुनकर हर किसी के मन में यही सवाल उठ रहा है आखिर ऐसा क्यों हुआ? और यह संथारा होता क्या है?
वियाना को जनवरी 2025 में ब्रेन ट्यूमर हुआ था. सर्जरी के बाद थोड़ी राहत मिली, लेकिन मार्च में तबीयत फिर बिगड़ गई. इंदौर और मुंबई में इलाज कराया गया, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ. जब इलाज के सारे रास्ते बंद हो गए, तब उसके माता-पिता पीयूष और वर्षा जैन, बच्ची को आध्यात्मिक संत राजेश मुनि महाराज के पास ले गए.
मुनि श्री ने बच्ची की हालत देखकर संथारा का सुझाव दिया. परिवार पहले से मुनि श्री का अनुयायी था और वे पहले भी 100 से ज्यादा लोगों को संथारा दिलवा चुके थे. इस पर पूरे परिवार ने सहमति दी और संथारा की प्रक्रिया शुरू की गई. आधे घंटे की धार्मिक प्रक्रिया के 10 मिनट बाद ही वियाना ने शांति से अपने प्राण त्याग दिए. जैन समाज ने इस निर्णय का सम्मान किया और यह घटना 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज कराई गई है.
संथारा जैन धर्म की एक प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा है, जिसमें इंसान स्वेच्छा से जीवन के अंतिम चरण में भोजन और जल का त्याग कर शांतिपूर्वक शरीर का परित्याग करता है. इसे आत्महत्या नहीं माना जाता, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का एक माध्यम समझा जाता है.
जब व्यक्ति को लगता है कि अब उसका शरीर काम करने लायक नहीं रहा या वो आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ना चाहता है, तब वह संथारा लेने का संकल्प करता है. इसमें व्यक्ति धीरे-धीरे खाना-पीना छोड़ देता है और ध्यान, प्रार्थना व धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में लग जाता है. इसके लिए व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है. बच्चों और शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए इसे उचित नहीं माना जाता.
इतनी छोटी बच्ची, जो सही और गलत का मतलब भी नहीं समझ सकती, उसके द्वारा संथारा लेने की खबर से कई लोगों को झटका लगा है. लोग पूछ रहे हैं क्या यह वास्तव में उसका फैसला था? क्या धर्म के नाम पर मासूम की जिंदगी का फैसला सही है? अब इस मुद्दे पर देशभर में चर्चा हो रही है. कुछ लोग इसे आस्था का मामला बता रहे हैं, तो कुछ इसे बच्चों के अधिकारों और मानवता से जोड़कर देख रहे हैं.
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