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Pakistan Election 2024: पाकिस्तान के चुनावी नतीजों पर क्यों टकटकी लगाए बैठा है भारत?

Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में चुनाव संपन्न होने के बाद मतगणना का दौर शुरू हो गया है. भारत सहित दुनियाभर के तमाम देश टकटकी लगाए नतीजों और नई सरकार के गठन का इंतजार कर रहे हैं.

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Shubhank Agnihotri
Pakistan Election 2024

Pakistan Election 2024: महीनों देरी, सियासी उठापटक और हिंसा के बीच आखिरकार पाकिस्तान में आम चुनाव संपन्न हो गए. चुनाव संपन्न होने के बाद मतगणना भी शुरू हो चुकी है. देर रात तक चुनाव परिणाम सामने आने लगेंगे और कल यानी शुक्रवार तक साफ हो जाएगा कि पाकिस्तानी आवाम ने किसे अपना नया हुक्मरान चुना है. पाकिस्तान के चुनावी नतीजे भारतीय दृष्टिकोण से भी काफी अहमियत रखते हैं. पाकिस्तान के हरेक चुनाव में हिंदुस्तान उनकी सियासत का अहम हिस्सा रहा है. ऐसे में चुनावी नतीजों का असर दोनों देशों पर पड़ना तय है. आवाम उम्मीद कर रही है कि ऐसी सरकार सत्ता संभाले जो मुल्क तो तंगहाली के दौर से बाहर निकाले और पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों को भी बेहतर करे. 

देश के बेपटरी हालात पर हो सके नियंत्रण 

पाकिस्तान के 12वें राष्ट्रीय आम चुनावों में जानकार पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में देख रहे हैं. उनके मुताबिक, दूसरे नंबर पर बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और तीसरे पर इमरान खान की पीटीआई रह सकती है. लगभग 25 करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान लंबे समय से तमाम प्रकार की चुनौतियों से जूझ रहा है. आर्थिक संकट, आतंकी हमले, पड़ोसियों के साथ तल्ख रिश्ते, तालिबान के साथ खराब होते संबंध, ईरान और अफगानिस्तान के साथ आई रिश्तों में अनबन ने इस्लामाबाद की चिंताओं में आग में घी डालने का ही काम किया है. ऐसे में जनता ऐसी सरकार का नेतृत्व चाहती है जिस पर भरोसा किया जा सके और जो देश के बेपटरी हालातों पर काबू पा सके. 

चुनाव नतीजे करेंगे 16वीं संसद का गठन 

गुरुवार को संपन्न हुए चुनावों के माध्यम से पाक की 16वीं संसद का गठन होगा.पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 336 सीटें हैं. इसमें 266 सीटों पर प्रत्यक्ष तौर पर प्रतिनिधियों का चुनाव होता है. वहीं, 60 सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए और 10 गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए हैं. पाकिस्तान में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव में मताधिकार का प्रयोग किया जाता है. इन चुनावों में देशभर से लगभग 160 से ज्यादा नेताओं ने अपनी किस्मत आजमाई है.

पाकिस्तानी सियासत के लॉयन की होगी वापसी? 

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ( PML-N) के नेता नवाज शरीफ पहले भी पाकिस्तानी सियासत का तीन बार नेतृत्व कर चुके हैं. वे 1993, 1999, 2017 में मुल्क के प्रधानमंत्री बनें और तीनों बार ही उन्हें पद से हटाया गया. अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भी निर्वासन के चार वर्ष लंदन में काटने के बाद 2023 में पाकिस्तान वापस लौटे और चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया. उन्होंने अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में देश को बदहाली और आर्थिक तंगी के दौर से बाहर निकालने का वादा किया है. शरीफ ने भारत के साथ बार-बार शांति की अपील भी दोहराई है. शरीफ को पाकिस्तानी सियासत का लॉयन कहा जाता है. उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह शेर है. इस चुनाव में उन्हें सेना का समर्थन प्राप्त होने की बात भी सामने आई है. 

इमरान को तकनीक दिलाएगी चुनावी फायदा 

क्रिकेटर से राजनेता और फिर जेल की सजा कुछ इस तरह का सफर रहा है पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ( PTI) के मुखिया इमरान खान का. भ्रष्टाचार के आरोपों में वे 2023 से जेल की सलाखों के पीछे हैं. उन्हें तीन अलग-अलग मामलों में जेल की सजा मुकर्रर हो चुकी है. चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह बैट को भी जब्त कर लिया. ऐसे में इमरान की पार्टी के सभी प्रत्याशी इंडिपेंडेंट तरीके से चुनाव मैदान में उतरे. पार्टी ने इसके लिए तकनीक का खूब सहारा लिया. पीटीआई ने इमरान के रिकॉर्डेड वीडियो को जनता के सामने पहुंचाया और ऑनलाइन चुनावी कैंपेन भी चलाया.पाकिस्तानी सेना के साथ इमरान के रिश्ते उनकी चुनावी जीत में बड़ी बाधा बन सकते हैं. 

पाकिस्तानी सियासत के मिलेनियल कैंडिडेट हैं बिलावल 

बिलावल भुट्टो पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की संतान हैं. उनकी पार्टी का नाम पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) है. 2022 में इमरान खान की सत्ता से बेदखली के बाद वे शहबाज शरीफ के नेतृ्त्व वाली गठबंधन सरकार में सबसे कम उम्र के विदेश मंत्री बनें. बिलावल को पाकिस्तानी सियासत में मिलेनियल कैंडिडेट का तमगा प्राप्त है. उन्होंने पाकिस्तानी कौम से वादा किया है कि पीएम बनने पर वे कश्मीरी हक की लड़ाई लडेंगे. 

पिघल सकती है रिश्तों में सालों से जमीं बर्फ 

पाकिस्तान के सभी चुनाव में भारत हमेशा एक अहम मुद्दा रहा है. भारत उसका हमेशा से ही कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहा है. पाकिस्तान इस समय अपने सीमावर्ती पड़ोसियों अफगानिस्तान और ईरान के साथ भी रिश्तों में तल्खियों का सामना कर रहा है. अमेरिका के साथ उसके रिश्ते कभी गरम तो कभी नरम रहे हैं. चीन के साथ उसकी दोस्ती जगजाहिर है. जानकारों के मुताबिक, नवाज शरीफ की इन चुनावों में जीत हो सकती है. ऐसे में वे भारत के साथ अपनी पुरानी दोस्ती को ट्रंप कार्ड की तरह पेश कर रहे हैं. उन्होंने अपनी आवाम को यह भरोसा भी दिया है कि उनकी सत्ता में वापसी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध मधुर हो सकते हैं. पाकिस्तान राजनीति के विश्लेषक इस बात को स्वीकार रहे हैं कि शरीफ की सत्ता में वापसी के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में गर्माहट आ सकती है, सालों से जमीं बर्फ पिघल सकती है. अगर बड़ी उम्मीद न भी की जाए तो कम से कम नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की बहाली तो हो ही सकती है. इमरान खान पर भारत का भरोसा मुश्किल है या उसमें शायद ही कोई नयापन देखने को मिले. बिलावल भुट्टो पाक राजनीति के हीरे हो सकते हैं लेकिन उनके पारिवारिक इतिहास को देखा जाए तो वह हमेशा से ही भारत विरोधी रहा है.