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India Daily

Donald Trump Tariff King: ट्रम्प ने भारत को क्यों कहा 'टैरिफ किंग' जबकि खुद लगाता है 350% तक टैरिफ, WTO रिपोर्ट्स में पर्दाफाश

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को 'टैरिफ किंग' कहा और 25% आयात शुल्क लगा दिए, लेकिन WTO डेटा बताता है कि अमेरिका खुद तंबाकू, डेयरी और फलों पर 350% तक शुल्क लगाता है. भारत पर आरोपों के बावजूद अमेरिका की अपनी नीतियां भी व्यापार में बड़ी बाधा हैं.

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Edited By: Km Jaya
Donald Trump
Courtesy: Social Media

Donald Trump Tariff King: अमेरिका और भारत के व्यापार संबंध एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं. 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के कई उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगाने का आदेश दिया. कारण बताया गया कि भारत की आपत्तिजनक व्यापार नीतियां और रूस के साथ भारत के बढ़ते रक्षा संबंध है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच डिजिटल टैक्स, रक्षा सौदे और बाजार पहुंच को लेकर मतभेद पहले से गहरे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप ने भारत को एक बार फिर "टैरिफ किंग" कहकर निशाना बनाया है. उनका आरोप है कि भारत विश्व में सबसे ऊंचे आयात शुल्क लगाता है और अमेरिकी वस्तुओं के खिलाफ ‘गैर-राजस्व आधारित बाधाएं’ खड़ी करता है लेकिन विश्व व्यापार संगठन यानी WTO और अमेरिका की ही ट्रेड रिपोर्ट्स एक अलग तस्वीर पेश करती हैं.

टैरिफ प्रोफाइल 2024

WTO की "टैरिफ प्रोफाइल 2024" रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका कृषि उत्पादों पर अत्यधिक आयात शुल्क लगाने की क्षमता रखता है:

तंबाकू पर 350% तक

डेयरी उत्पादों पर 200%+

फलों, सब्जियों और प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं पर 130% तक

अमेरिका से व्यापार समझौता

हालांकि ये शुल्क आमतौर पर तब लगते हैं जब आयात मात्रा कोटा से अधिक हो जाए या निर्यातक देश अमेरिका से व्यापार समझौते में शामिल न हो लेकिन विकासशील देशों के लिए ये ‘शुल्क चोट’ हकीकत है. भारत की ओर से रक्षा और ऊर्जा में रूस से संबंध बनाए रखना, और डिजिटल सेवाओं में नियंत्रण जैसी नीतियां अमेरिका को खटक रही हैं.

‘टैरिफ किंग’ होने का आरोप

अमेरिका के नए 25% टैरिफ के साथ अब भारत से ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, जूलरी और फूड आइटम्स के निर्यात महंगे हो जाएंगे. NCAER और ICRIER की रिपोर्ट के अनुसार, यदि ये शुल्क जारी रहते हैं तो भारत की जीडीपी में 0.2% से 0.5% की गिरावट हो सकती है. भारत पर ‘टैरिफ किंग’ होने का आरोप लगाना भले ही राजनीतिक हो, लेकिन खुद अमेरिका का कृषि शुल्क ढांचा यह दिखाता है कि असली ‘टैरिफ किंग’ कौन है.