UN Security Council: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस माह के अंत में होने वाली सिंगापुर यात्रा से पहले, सिंगापुर के पूर्व राजनयिक और प्रख्यात शिक्षाविद किशोर महबूबानी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में तत्काल सुधार का आह्वान किया है और कहा है कि नई दिल्ली परिषद में स्थायी सीट का हकदार है.
महबूबानी ने कहा कि भारत आज निस्संदेह दुनिया में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है. इस बीच, ग्रेट ब्रिटेन अब 'महान' नहीं रहा. NDTV के साथ एक इंटरव्यू में महबूबानी ने तर्क दिया कि यूनाइटेड किंगडम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी स्थायी सीट भारत के लिए छोड़ देनी चाहिए.
महबूबानी ने बताया कि ब्रिटेन ने दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग नहीं किया है, जिसका मुख्य कारण विरोध का डर है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के लिए तार्किक कदम ये है कि वो अपनी सीट भारत को सौंप दे.
संयुक्त राष्ट्र सुधारों की व्यापक आवश्यकता पर टिप्पणी करते हुए महबूबानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने संगठन को अपने समय की प्रमुख शक्तियों को शामिल करने के लिए डिजाइन किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन देशों के पास इसकी प्रभावशीलता बनाए रखने में निहित स्वार्थ हो.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने 20वीं सदी की शुरुआत में राष्ट्र संघ के पतन से सीखा कि यदि कोई महाशक्ति संगठन छोड़ती है, तो संगठन बिखर जाता है. हालांकि, उनका ये भी मानना था कि यूएनएससी को आज की महाशक्तियों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, न कि अतीत की महाशक्तियों का. दुर्भाग्य से, उन्होंने परिषद की सदस्यता को अपडेट करने के लिए कोई तंत्र नहीं बनाया.
पीएम मोदी की सिंगापुर की यात्रा से पहले पूर्व राजनयिक महबूबानी ने कहा कि अगर ब्रिटेन अपनी सीट छोड़ दे तो उसे वैश्विक मंच पर अधिक स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी. भारत की ओर से भी लगातार संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरूरतों की ओर ध्यान आकर्षित कराया जाता रहा है. 27 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि, भारत की राजदूत योजना पटेल ने सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए अधिक निर्णायक के साथ-साथ पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की बात कही थी.