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कैमेस्ट्री में इन तीन वैज्ञानिकों को मिला नोबेल पुरस्कार, ‘मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क’ से बदल दिए मटेरियल साइंस के नियम

2025 का रसायन विज्ञान (Chemistry) का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों- सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉब्सन और ओमर एम. याघी को दिया गया है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Nobel Prize winner
Courtesy: social media

Nobel Prize in Chemistry: रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को घोषणा की कि जापान के सुसुमु कितागावा (क्योटो यूनिवर्सिटी), ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉब्सन (यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न) और अमेरिका के ओमर एम. याघी (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले) को 2025 का नोबेल प्राइज इन केमिस्ट्री प्रदान किया गया है.

उन्हें पुरस्कार 'मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स के विकास' के लिए दिया गया है, यह एक ऐसी खोज है जिसने पदार्थ विज्ञान (Material Science) के बुनियादी सिद्धांतों को नया आकार दिया है.

'मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क', विज्ञान में नई संरचना का चमत्कार

इन तीनों वैज्ञानिकों ने 1980 के दशक के अंत से वह नींव रखी, जिसने 'मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स' को जन्म दिया. इन फ्रेमवर्क्स में धातु आयन (metal ions) को आधार (cornerstone) के रूप में जोड़ा जाता है और लंबी कार्बन आधारित ऑर्गैनिक श्रृंखलाओं से उन्हें आपस में जोड़ा जाता है. नतीजा होता यह होता है- एक क्रिस्टल जैसा ढांचा जिसमें अनगिनत सूक्ष्म छिद्र बने होते हैं. इन छिद्रों के कारण ये पदार्थ गैस या ऊर्जा को कैप्चर करने, स्टोर करने और यहां तक कि रासायनिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में सक्षम बनते हैं.

1989 से 2003 तक चली वैज्ञानिक यात्रा

रिचर्ड रॉब्सन ने 1989 में पहली बार कॉपर आयन और चार शाखाओं वाले अणु को मिलाकर ऐसे क्रिस्टल बनाए जिनमें खाली जगहें थीं. हालांकि शुरूआती प्रयास अस्थिर थे, लेकिन आगे जाकर उन्होंने स्थायी और सुव्यवस्थित संरचनाएं बनाईं. 1992 से 2003 के बीच सुसुमु कितागावा और ओमर याघी ने इस क्षेत्र में क्रांतिकारी काम किया. कितागावा ने इन फ्रेमवर्क्स में गैस प्रवाह और उनकी लचीलेपन की क्षमता दिखाई, जबकि याघी ने ऐसे स्थायी MOFs बनाए जिन्हें विभिन्न वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए बदला जा सकता था.

मटेरियल डिजाइन की दुनिया में क्रांति

नोबेल कमेटी के चेयर हेनर लिंक ने कहा, 'मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स ने रसायन विज्ञान में नई संभावनाएं पैदा की हैं.' इन MOFs की मदद से वैज्ञानिक अब ऐसे पदार्थ बना सकते हैं जो खास कार्यों के लिए डिजाइन किए जा सकते हैं- जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ना, हाइड्रोजन संग्रह करना या विद्युत चालकता में सुधार करना. यह खोज भविष्य की ऊर्जा तकनीक और पर्यावरणीय समाधान में अहम भूमिका निभा सकती है.

नोबेल पुरस्कार की परंपरा और सम्मान राशि

1901 से अब तक कुल 116 बार रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है, जिसमें 195 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया. अब तक सिर्फ आठ महिलाएं इस सूची में शामिल हैं, जिनमें मेरी क्यूरी और डोरोथी हॉजकिंस जैसे नाम हैं. इस साल के विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन डॉलर) की राशि मिलेगी. पुरस्कार 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर प्रदान किए जाएंगे.