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India Daily

उइगर मुस्लिमों से गैंगरेप, अंग निकालना और ज़िंदा चमड़ी उधेड़ना! चीन के ‘री-एजुकेशन’ कैंप या टॉर्चर फैक्ट्री?

चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे कथित अत्याचारों की कहानी एक बार फिर सामने आई है. महिला पीड़ितों की गवाही के अनुसार, उन्हें टॉर्चर, गैंगरेप, जबरन नसबंदी, अंग निकाले जाने और मानसिक उत्पीड़न जैसी अमानवीय यातनाओं से गुजरना पड़ा. चीन इन जगहों को ‘री-एजुकेशन कैंप’ कहता है, लेकिन पीड़ितों की नजर में ये यातना शिविर हैं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
 re-education camp in china
Courtesy: web

चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे कथित अत्याचारों की कहानी एक बार फिर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिनजियांग की गुप्त जेलों में उइगर मुस्लिमों को कैद कर उनके साथ बर्बरता की जाती है. महिला पीड़ितों ने सामने आकर जिन घटनाओं का ज़िक्र किया है, वे रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं. इन जेलों में कैदियों को टॉर्चर चेयर से बांधकर पीटा जाता है, बिजली के झटके दिए जाते हैं, अंग निकाले जाते हैं और महिलाओं के साथ बलात्कार कर उन्हें मानसिक रूप से तोड़ा जाता है.

उइगर मुस्लिम महिला सायरागुल सायुतबाय को 2017 में एक शिविर में बंद कर दिया गया था, जहां उन्हें दूसरे कैदियों को मैंडरिन (चीनी भाषा) सिखाने के लिए मजबूर किया गया. 2019 में एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि कैदियों को जंजीरों से बांधकर काले कमरों में प्रताड़ित किया जाता था, और सोने नहीं दिया जाता था. उन्होंने बताया कि एक जिंदा बूढ़ी महिला की खाल निकाल दी गई थी क्योंकि उसने मामूली विरोध किया था. एक और महिला ने बताया कि उन्हें नुकीली कीलों वाली कुर्सी पर बैठाया जाता था और नाखून उखाड़े जाते थे.

रेप, टॉर्चर और निगरानी

सायरागुल के अनुसार, महिला कैदियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता था और बाकी महिलाओं को मजबूर किया जाता था कि वे ये सब होते हुए देखें. अगर किसी ने मुंह फेर लिया, आंखें बंद कीं या गुस्से में प्रतिक्रिया दी, तो उन्हें उठा लिया जाता था और फिर कभी नहीं देखा गया. दूसरी पीड़िता मिहिरगुल तुर्सुन ने अमेरिका में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उनसे चार दिन बिना नींद के पूछताछ की गई, सिर मुंडवा दिया गया और इलेक्ट्रिक हेलमेट से झटके दिए गए.

जबरन नसबंदी और अंग निकालने का आरोप

एक अन्य पीड़ित, चेंग पेई मिंग, को सिर्फ इसलिए एक अस्पताल ले जाया गया क्योंकि उन्होंने धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया था. वहां उनसे जबरन एक फॉर्म पर साइन करने को कहा गया. इंकार करने पर उन्हें इंजेक्शन देकर बेहोश किया गया. जब होश आया, तो उन्होंने अपने शरीर पर एक लंबा चीरा देखा और बाद में पता चला कि उनके फेफड़े और लीवर का हिस्सा निकाल लिया गया है. हालांकि चीन का दावा है कि 2015 तक मृत कैदियों के अंग निकाले जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा.

मानवाधिकार संगठनों का आरोप

मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, 2014 से अब तक चीन ने 10 लाख से ज्यादा उइगर और तुर्किक मुसलमानों को ऐसे कैंपों में बंद कर रखा है. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी और गर्भपात कराया जा रहा है. 2017-18 के बीच उइगर समुदाय की जन्म दर में 60% तक की गिरावट दर्ज की गई. विश्व उइगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डोलकुन इसा ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में कहा कि उइगर बच्चों को उनके परिवार से अलग कर मजदूरी करवाई जा रही है.