चीन में क्यों नहीं होते आतंकी हमले, क्या पाकिस्तान की वजह से सुरक्षित है ड्रैगन? यहां जानें पूरा 'राज'

दुनिया के कई देश आतंकवाद से जूझ रहे हैं, लेकिन चीन में आतंकी हमले लगभग न के बराबर हैं. चीन सरकार नागरिकों से लेकर टेक सिस्टम तक हर गतिविधि पर पैनी नजर रखती है.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों में आतंकवाद एक गंभीर चुनौती बना हुआ है. भारत, अमेरिका, अफगानिस्तान, इराक समेत कई देशों में समय-समय पर आतंकी घटनाओं ने निर्दोष लोगों की जिंदगी छीन ली. लेकिन इसी दुनिया का एक पड़ोसी देश चीन आतंकवाद के मामले में लगभग सुरक्षित माना जाता है. वहां ऐसे हमले देखने को नहीं मिलते, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.

तो क्या वजह है कि चीन पर आतंकी हमलों का असर नहीं पड़ता? क्या उसके सुरक्षा तंत्र इतने मजबूत हैं, या फिर वह किसी और तरीके से इस खतरे को दूर रखता है? चीन की रणनीति केवल सख्त सुरक्षा कानूनों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें एक दिलचस्प पाकिस्तान कनेक्शन भी शामिल है, जो इस रहस्य को और जटिल बनाता है.

हर कदम पर नजर रखने वाला इंटेलिजेंस सिस्टम

चीन की खुफिया एजेंसी MSS अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के सहारे नागरिकों, विदेशियों और गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखती है. सीसीटीवी, डिजिटल ट्रैकिंग और सोशल मीडिया की निगरानी से संदिग्ध आतंकियों की पहचान शुरुआती स्तर पर ही कर ली जाती है.

क्रूर लेकिन कारगर सुरक्षा कानून

चीन में आतंकवाद के खिलाफ बेहद सख्त कानून हैं. किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल गिरफ्तारी या सज़ा दी जाती है. लोकतंत्र न होने से सरकार हर निर्णय बिना विरोध के लागू कर देती है.

पाकिस्तान से गुप्त ‘समझौता’

पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, लेकिन चीन उन्हें निशाना नहीं बनाते. इसके बदले चीन वैश्विक मंचों पर कई आतंकी सरगनाओं का बचाव करता है. यह ‘लेन-देन’ चीन के लिए सुरक्षा कवच जैसा काम करता है.

सीमाएं लोहे की दीवार जैसी

चीन अपनी सीमाओं पर बेहद कठोर सुरक्षा रखता है. अवैध घुसपैठियों को या तो गोली मार दी जाती है या तुरंत हिरासत में ले लिया जाता है. इससे बाहरी आतंकी प्रवेश कर ही नहीं पाते.

सोशल मीडिया पर पूरा कंट्रोल

चीन में इंटरनेट और सोशल मीडिया स्वतंत्र नहीं हैं. इस पर सरकार की सीधी निगरानी होती है, जिससे ऑनलाइन उग्रवाद या आतंकी प्रचार फैलने का कोई मौका नहीं मिलता.

आतंकी हमले से दहला दिल्ली

10 नवंबर को दिल्ली में कार ब्लास्ट हुआ था, जिसके पीछे डॉ. उमर उन नबी का हाथ बताया गया है. नबी 2022 में तुर्की में एक सीरियाई टेरर कॉन्टैक्ट से मिला था.