नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती में इन दिनों नई दरारें दिखने लगी हैं. ताजा घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबका ध्यान खींचा है, क्योंकि पाकिस्तान ने चार बड़ी चीनी कंपनियों को देश में अपना संचालन बंद करने तक की चेतावनी दे दी है. यह विवाद पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यानी FBR और पाकिस्तान में काम कर रही चीनी टाइल निर्माण कंपनियों के बीच बढ़ते टकराव का नतीजा है.
मामला इन फैक्ट्रियों में लगाए गए इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग कैमरों को लेकर इतना गंभीर हो गया है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव खुलकर सामने आ गया है. पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान की नीतियों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. चीन की जगह पाकिस्तान अब अमेरिका के करीब होता दिख रहा है.
यह तनाव तब बढ़ा जब चीनी कंपनियों ने आरोप लगाया कि FBR द्वारा लगाए गए कैमरे उनकी गोपनीयता का उल्लंघन करते हैं. इन कंपनियों ने कहा कि इस मॉनिटरिंग सिस्टम से उनके कारोबारी रहस्य प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए कैमरे हटाए जाएं.
दूसरी ओर, FBR ने कैमरे हटाने से साफ इनकार कर दिया. पाकिस्तान की संसद की सीनेट स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस एंड रेवेन्यू की बैठक में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठा. बैठक की अध्यक्षता सलीम मण्डवीवाला ने की. FBR चेयरमैन राशिद महमूद लैंगरियल ने बताया कि सिर्फ टाइल सेक्टर में ही 30 अरब पाकिस्तानी रुपये की टैक्स चोरी का शक है. उन्होंने कहा कि कैमरे लगाने का मकसद वास्तविक उत्पादन पर नजर रखना था, ताकि कर चोरी को रोका जा सके और सरकारी राजस्व को नुकसान न हो.
FBR प्रमुख ने यह भी खुलासा किया कि कैमरों की स्थापना सबसे पहले चीनी उद्योग में शुरू हुई थी, क्योंकि यहां 76 अरब रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई थी. इसके बाद सीमेंट उद्योग की निगरानी की गई, जहां लगभग 102 अरब रुपये का नुकसान सामने आया. अब टाइल सेक्टर में यह आंकड़ा भी 30 अरब रुपये तक पहुंच चुका है. इन बड़े पैमाने पर हुई टैक्स चोरी को देखते हुए FBR ने कहा कि कैमरों को हटाना किसी भी हालत में संभव नहीं है.
हालांकि विवाद कम करने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं. FBR ने बताया कि 15 में से 11 कैमरे हटा दिए गए हैं और अब केवल चार कैमरे ही लगाए गए हैं, जिनका मकसद केवल उत्पादन की गणना करना है. इसके बावजूद FBR ने साफ कहा कि अगर कंपनियों को यह व्यवस्था पसंद नहीं है, तो वे पाकिस्तान में अपना संचालन बंद कर सकती हैं. इस बयान ने चीन-पाकिस्तान संबंधों में नई कड़वाहट पैदा कर दी है.