menu-icon
India Daily

'डोनबास छोड़ो, सेना घटाओ…', रूस वॉर रोकने के लिए जेलेंस्की के सामने अमेरिका ने रखी ये शर्तें

अमेरिका ने यूक्रेन को 28-बिंदु प्रस्ताव दिया है जिसमें डोनबास सौंपने, सेना घटाने और NATO विस्तार रोकने की मांग है. यूरोपीय देश चिंतित हैं और जेलेंस्की ने प्रस्ताव पर विचार जारी रखने की बात कही है.

auth-image
Edited By: Km Jaya
Volodymyr Zelenskyy India daily
Courtesy: @ZelenskyyUa X account

नई दिल्ली: अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नया और विवादास्पद 28-बिंदुओं वाला शांति प्रस्ताव यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को सौंपा है. इस प्रस्ताव में यूक्रेन से कई बड़े समझौते करने की अपेक्षा की गई है, जिनमें डोनबास क्षेत्र का हिस्सा रूस को सौंपना, यूक्रेनी सेना का आकार घटाना और भविष्य में NATO के विस्तार को रोकना शामिल है. 

यह मसौदा यूक्रेन की भागीदारी के बिना तैयार किया गया था, जिसने कीव और पूरे यूरोप में असंतोष और चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्टों के अनुसार, यह योजना रूस को कई तरह से फायदा पहुंचाने वाली मानी जा रही है. मसौदे में रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था से फिर जुड़ने का रास्ता भी शामिल है, जिसमें भविष्य में प्रतिबंधों को हटाने की संभावना होगी.

जेलेंस्की ने क्या कहा?

इसके अलावा, रूस को एक बार फिर G8 जैसे बड़े आर्थिक समूह में शामिल होने का विकल्प मिल सकता है. अमेरिका ने यह भी सुझाव दिया है कि यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए 100 बिलियन डॉलर की रूसी जमा परिसंपत्तियों का उपयोग किया जाए. जेलेंस्की ने मसौदा प्राप्त होने की पुष्टि की है और उन्होंने कहा है कि यूक्रेन अमेरिका के साथ रचनात्मक और तेजी से बातचीत करने के लिए तैयार है.

जेलेंस्की का क्या रहा रिएक्शन?

हालांकि उन्होंने न तो इस योजना को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है और न ही इसका विरोध किया है. आने वाले दिनों में जेलेंस्की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस विषय पर बात करेंगे. यूक्रेन अमेरिकी सैन्य और वित्तीय सहायता पर निर्भर है, इसलिए यह बातचीत बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 

यूरोपीय देशों की क्या रही प्रतिक्रिया?

यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव पर बेहद सतर्क प्रतिक्रिया दी है. फ्रांस ने साफ कहा है कि 'शांति का मतलब आत्मसमर्पण नहीं हो सकता.' यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कलास ने भी कहा कि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि रूस पर किसी समानांतर समझौते का दबाव बनाया गया है. इससे यूरोप में यह चिंता बढ़ गई है कि शांति के नाम पर यूक्रेन को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, जबकि रूस पर ठोस प्रतिबद्धताओं का अभाव है.

यूक्रेन में क्यों आया राजनीतिक संकट?

इस बीच यूक्रेन युद्ध के मैदान में दबाव में है. रूसी सेना पोक्रोव्स्क की ओर बढ़ रही है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले तेज हो गए हैं. जेलेंस्की राजनीतिक संकट से भी जूझ रहे हैं क्योंकि हाल ही में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में दो मंत्रियों को बर्खास्त करना पड़ा है. विपक्ष सरकार पर बड़े सुधारों का दबाव बना रहा है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस मसौदे का बचाव करते हुए कहा है कि स्थायी शांति के लिए कठिन और यथार्थवादी निर्णयों की जरूरत होती है. यह भी कहा गया है कि किसी अंतिम समझौते के लिए यूक्रेन और रूस दोनों को पारस्परिक रियायतें देनी होंगी.