नई दिल्ली: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ के मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद राजधानी ढाका में हालात बिगड़ गए. अदालत का फैसला आते ही उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प शुरू हो गई और कई जगह हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. सबसे बड़ा विवाद उस समय पैदा हुआ जब प्रदर्शनकारियों ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के घर के बचे हुए हिस्से को गिराने की कोशिश की. इसी दौरान उनकी भिड़ंत सुरक्षा बलों से हो गई.
रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने भीड़ को रोकने के लिए लाठियों, ध्वनि ग्रेनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. पुलिस ने बताया कि मीरपुर रोड पर कम से कम छह ग्रेनेड फटे. RAB के अधिकारी मसूद आलम ने पुष्टि करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कई साउंड ग्रेनेड का इस्तेमाल करना पड़ा. ईंटबाजी और लाठीचार्ज के कारण कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए.
हालांकि सुरक्षाबलों ने भीड़ को एक बार खदेड़ दिया, लेकिन कुछ घंटे बाद पंथ पथ स्थित स्क्वायर अस्पताल के पास प्रदर्शनकारियों का समूह फिर जमा हो गया. यहां भी पुलिस ने माहौल काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. लगातार हो रहे विरोध के कारण मीरपुर रोड और आसपास की सड़कों पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया. दुकानों के शटर बंद हो गए और स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल रहा.
Radical mob in Dhaka reaches Dhanmondi 32 — the Bangabandhu Memorial Museum — with a bulldozer, attempting to demolish Sheikh Mujibur Rahman’s former residence. 🇧🇩🔥
— AsiaWarZone (@AsiaWarZone) November 17, 2025
pic.twitter.com/m2sXTDM1ow
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी विरोध शुरू होने से पहले दो उत्खनन मशीनें लेकर पहुंचे थे, जिससे अंदेशा है कि वे बंगबंधु के घर को पूरी तरह गिराने की योजना बनाकर आए थे. फरवरी में हुए एक अन्य प्रदर्शन में भी इसी भवन को नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद से पुलिस ने मुख्य द्वार पर अवरोधक लगा दिए थे और किसी को भी भवन परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह करीब 11:30 बजे से ही भीड़ इकट्ठा होने लगी थी. लोग धानमंडी 32 की ओर मार्च कर रहे थे और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ नारे लगा रहे थे. रिपोर्टों के अनुसार, भीड़ ने 'खुनी हसीनार फाशी चाय' सहित कई आक्रामक नारे लगाए. कुछ नारे राजनीतिक ध्रुवीकरण को भी दर्शाते थे.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हसीना आदेश देने और हिंसा के दौरान हुई हत्याओं को रोकने में असफल रहने, दोनों के लिए जिम्मेदार हैं. दूसरी ओर, शेख हसीना ने फैसले को धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा सुनाया गया बताते हुए इसे पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया. उन्होंने कहा कि इस अदालत की स्थापना एक अनिर्वाचित सरकार ने की है, जिसके पास कोई जनादेश नहीं है.
ढाका में माहौल अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है और प्रशासन ने लोगों से शांत रहने व स्थिति को बिगाड़ने वाली गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है.