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POK में लोगों ने लश्कर आतंकी को खदेड़ा, साथी के जनाजे में होने आया था शामिल

दशकों से पाक अधिकृत कश्मीर (POK) लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों का गढ़ रहा है, जिनके बारे में व्यापक रूप से माना जाता है कि वे पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के मौन समर्थन से संचालित होते हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
POK
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक गांव के निवासियों ने एक प्रमुख आतंकवादी और उसके सहयोगियों को अपने गांव में उसकी उपस्थिति का विरोध करने के बाद क्षेत्र से भागने पर मजबूर कर दिया. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े एक आतंकवादी, रिज़वान हनीफ़ का कुइयां गांव में स्थानीय लोगों ने सामना किया, जिससे उसे और उसके हथियारबंद अंगरक्षकों को पीछे हटना पड़ा. यह घटना स्थानीय भावनाओं में एक उल्लेखनीय बदलाव का प्रतीक है, जहां समुदाय क्षेत्र में आतंकवादी तत्वों के विरुद्ध तेज़ी से खड़े हो रहे हैं.

यह टकराव श्रीनगर के हरवान में भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकवादी हबीब ताहिर के अंतिम संस्कार के दौरान हुआ. ताहिर के परिवार की आपत्तियों के बावजूद, हनीफ अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, जिससे ग्रामीणों और आतंकवादियों के बीच तनाव पैदा हो गया. इस घटना के जवाब में कुइयां के निवासियों ने क्षेत्र में आतंकवादी भर्ती और गतिविधियों के खिलाफ सामूहिक रुख तैयार करने के लिए एक जिरगा - एक पारंपरिक सामुदायिक सभा बुलाने की योजना की घोषणा की है.

पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों का विरोध

यह पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी समूहों के प्रति जनता की घटती सहनशीलता के व्यापक रुझान को दर्शाता है. सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में आतंकवादियों द्वारा समर्थित आयोजनों पर कड़ी कार्रवाई की है जिसके परिणामस्वरूप उनकी सार्वजनिक उपस्थिति में स्पष्ट रूप से कमी आई है.

इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में अधिकारियों ने जन सुरक्षा का हवाला देते हुए बाग़ ज़िले में एक प्रस्तावित सम्मेलन की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इस कार्यक्रम में हथियारबंद लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी लेकिन इसमें पाक अधिकृत कश्मीर के एक जाने-माने व्यक्ति नौमान शहज़ाद को भी शामिल होना था.

POK लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों का गढ़

दशकों से पाक अधिकृत कश्मीर (POK) लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों का गढ़ रहा है, जिनके बारे में व्यापक रूप से माना जाता है कि वे पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के मौन समर्थन से संचालित होते हैं. ये समूह कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में कई बड़े हमलों के लिए ज़िम्मेदार रहे हैं.